पोड़ी उपरोड़ा मे 16 वर्ष पहले वन भूमि होने के बावजूद मिला राजस्व पट्टा, कैसे बने क़ृषि भूमि भूस्वामी, जांच मे जुटे वन विभाग व राजस्व विभाग : NN81

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पोड़ी उपरोड़ा मे 16 वर्ष पहले वन भूमि होने के बावजूद मिला राजस्व पट्टा, कैसे बने क़ृषि भूमि भूस्वामी, जांच मे जुटे वन विभाग व राजस्व विभाग : NN81

04/04/2024 | अप्रैल 04, 2024 Last Updated 2024-04-04T15:30:17Z
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 छत्तीसगढ़ पोड़ी उपरोड़ा

नानक राजपुत

स्लग :- पोड़ी उपरोड़ा मे 16 वर्ष पहले वन भूमि होने के बावजूद मिला राजस्व पट्टा, कैसे बने क़ृषि भूमि भूस्वामी, जांच मे जुटे वन विभाग व राजस्व विभाग। 



वन विभाग कि जमीन से राजस्व कि क़ृषि भूमि पर कैसे बने शिवकुमार पिता भागवत प्रसाद भूमिस्वामी ग्रामीणों कि शिकायत व लगातार मिडिया मे खबर आने के बाद मामले मे वन विभाग व राजस्व विभाग जांच मे जुट गए हैं।

दरसल लम्बे समय से पोड़ी उपरोड़ा के कटघोरा जाने वाले रास्ते मे नाले के समीप स्थित 356/22 खसरा नंबर कि जमीन मे भारी मात्रा मे राखड़ कि पटिंग कि जा रहि, उक्त जमीन शिवकुमार पिता भागवत प्रसाद के नाम 2.025 हेक्टेयर क़ृषि भूमि भूस्वामी दर्ज है, जिसमे राखड़ के पटिंग से आस पास के किसानो कि जमीन भी प्रभावित होती नजर आ रहि थी मामले मे स्थानीय किसानो ने आपत्ति जताई थी व विरोध किया मिडिया ने खबर प्रकाशित कि जहा 30 जनवरी 2024 को जांच करने आये तहसीलदार, आर आई, व पटवारी ने मनमाने तरिके से राखड़ पटिंग को लेकर जमकर फटकार लगाई थी व जांच चल ही रहि थी बावजूद इसके बिना प्रसासन व ग्राम सरपंच को सुचना दिए फिर से भारी मात्रा मे राखड़ पटिंग शुरु कर दी गई, पुनः स्थानीय व विधायक प्रतिनिधि सहेत्तर सिंह ने शिकायत कि जिस पर मिडिया मे खबर लगने के बाद राजस्व विभाग व वन विभाग हरकत मे आई व काम रोकवाते हुए जांच शुरु कर दी गई। 


वर्ष 2008-09 मे ज़ब जे.एल. भारती ऐतमा वनपरिक्षेत्र के डिप्टी रेंजर थे उस वक़्त वन अधिकार के तहत कई लोगो को वन पट्टा दिए गया था, जिस पूर्व डिप्टी रेंजर जे. एल. भारती ने कुछ लोगो का पट्टा निरस्त कर दिया गया था, उस समय लगभग 16 वर्ष पूर्व यह जमीन वन विभाग के कब्जे मे थी, इतना ही नहीं इसी जमीन पर स्वामी आत्मानंद स्कुल बनने का भी प्रस्ताव स्थानीय जनप्रतिनिधि ने रखी थी लेकिन वन विभाग ने उक्त जमीन वन भूमि होने के कारण मंजूरी नहीं दी थी, वही स्थानीय ग्रामीण व सरपंच सचिव व ग्रामीण कुछ वर्ष पूर्व गौठान के लिए जमीन तलाश रहे थे उस समय भी यह जमीन वन विभाग के कब्जे मे थी ज़ब यह जमीन वन विभाग कि थी तो आखिर कार यह जमीन क़ृषि भूमि कैसे हो गई और लगभग 5 एकड़ भूमि शिवकुमार पिता भागवत प्रसाद भूस्वामी कैसे हो गए यह जांच का विषय है, वही क्षेत्र के रेंजर श्री खांडे का कहना है कि हालांकि पर्यावरण से शिवकुमार को एन.ओ.सी प्राप्त हुआ है लेकिन पेड कटाइ को लेकर वन विभाग ने अनुमति नहीं दी है, जिसकि जांच कि जा रहि है वन विभाग द्वारा उक्त जमीन को वन विभाग सीमा का सत्यापन करने तक काम चालु नहीं करने कि बात रेंजर श्री खांडे ने शिवकुमार गोभील को कही व चेतावनी दी कि आदेश कि अवहेलना करने पर कार्य मे लगे सभी गाड़िया सीज कर दी जाएंगी। 


आपको बता दे कि इस जमीन मे हजारों पेड फल फूल रहे थे लेकिन आज कि स्थिति आप स्वयं देख सकते हैं वहा बिलकुल पेड नहीं बच रहे बल्कि हजारों कि संख्या मे मशीन से पेड कुचल दिए जा रहे।



स्थानीय लोगो का मानना है शिवकुमार गोभील पोड़ी उपरोड़ा का निवासी ही नहीं, ना ही उसने यहां निवास किया है ना उक्त जमीन मे काबिज कर फ़सल उगाई है, पूरी तरीके से फर्जीवाड़ा कर जमीन अपने नाम करवा ली। पोड़ी उपरोड़ा निवासी कई वर्षो से जितने जमीन मे काबिज रहकर खेती करते हैं उनके द्वारा उतने जमीन पर कब्जा बताया जाता उनके अनुरूप कभी जमीन का पट्टा ही नहीं, अथक प्रयास के बाद बडी मुश्किल से 50  डिसमिल का ही पट्टा प्राप्त होता है लेकिन शिवकुमार गोभील जोकि पोड़ी का निवासी भी नहीं उसको कैसे 5 एकड़ जमीन का पट्टा मिल गया वो भी क़ृषि भूमि यह मामला पूरी तरह से संदेह के दायरे मे हैं जिसकी निष्पक्ष करने कि बात सहेत्तर सिंह राज ने कही। 


फिलहाल लगातार विरोध व शिकायत के बाद जमीन पर राखड़ पटिंग का कार्य रोक दिया है शिवकुमार गोभील भूस्वामी कैसे बने जिस पर वन विभाग वा राजस्व विभाग जांच मे जुटे हुए हैं वही ग्रामीण शिकायत कर्ता को जांच प्रतिवेदन का इंतजार है।