नव संवत्सर के अवसर पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद गुना इकाई ने की संगोष्ठी : NN81

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नव संवत्सर के अवसर पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद गुना इकाई ने की संगोष्ठी : NN81

10/04/2024 | April 10, 2024 Last Updated 2024-04-10T14:06:36Z
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 न्यूज़ रिपोर्टर शाका नामदेव गुना


खबर गुना जिला मध्य प्रदेश से


गुना


नव संवत्सर के अवसर पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद गुना इकाई ने की संगोष्ठी



गुना।


नव संवत्सर भारतीय नववर्ष के अवसर पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद जिला इकाई गुना के तत्वाधान में, रेल भवन रेल परिसर गुना में संगोष्ठी एवं सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। माँ भारती और विवेकानंद जी के चित्र के समक्ष पूजन, वन्दन,  पुष्पहार अर्पित कर गोष्ठी का प्रारंभ किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता चेतना साहित्य कला परिषद गुना के अध्यक्ष विष्णु श्रीवास्तव साथी ने की। मुख्य अतिथि एवं वक्ता शासकीय महाविद्यालय राघौगढ़ के प्राचार्य डॉ. जवाहर द्विवेदी (संभागीय संयोजक अभासाप) रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रमा सिंह उपस्थित रहीं। गीतकार हरीश सोनी ने सरस्वती वन्दना से संगोष्ठी का प्रारंभ किया। प्रथम सत्र में औपनिवेशिक मानसिकता के उच्चाटन विषय पर चर्चा की गई। जिसमें उपस्थित सुविज्ञजन ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये। जिनमें हरीश सोनी, शंकर राव मोरे,  गोविंद राव मोरे, प्रेम सिंह प्रेम, संतोष ब्रह्मभट्ट, प्रीति गुप्ता, जयश्री बोहरे, दीप्ति गोयल, शाम्भवी गोयल छात्रा कक्षा 8 ने अपने ओजस्वी भाषण से सदन में विषय को रखा।उमाशंकर भार्गव, आनंद कृष्णानी प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य भारत विकास परिषद, व्ही. पी. सिंह संस्कार भारती प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य, धर्मवीर भारती, सत्येंद्र सिंह सिसोदिया, अभिनय मोरे, गोविंद गोयल, विरलेय सिसोदिया, डॉ. रमा सिंह, विष्णु साथी प्रमुख रहे। डॉ. रमा सिंह ने विक्रम संवत् को नैसर्गिक, वैज्ञानिक, अनुभूतिपरक बताते हुए कहा कि हम अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करना सीखें, उसे सहेजें। 

अंत में मुख्य अतिथि डॉ. जवाहर द्विवेदी ने विषय के ऐतिहासिक पहलुओं से लेकर आज तक के आधारों को सरल शब्दों में पटल पर रखा। आपने बताया कि भाव (मन के), भाषा, भेषज, भूषा और भोजन के जरिये किस प्रकार से विदेशी मानसिकता ने हमारे समाज को जकड़ लिया। अब आवश्यकता है कि हम सभी कृत संकल्पित होकर अपनी संस्कृति और उसकी वैज्ञानिकता को पहचानकर औपनिवेशिक मानसिकता के चिन्हों और प्रतीकों को नष्ट कर भारतीय सनातन संस्कृति को स्थापित करने में संलग्न हो जाएं। आज यही सच्ची राष्ट्र सेवा की राह है।


द्वितीय सत्र में काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी में काफी संख्या में श्रोतागण उपस्थित थे। सभी को नव संवत्सर की बधाई प्रेषित करते हुए गुना इकाई जिला अध्यक्ष ऋषिकेश भार्गव ने कहा कि भारतीय नव संवत्सर, गुड़ी पड़वा, सृष्टि का निर्माण दिवस व भगवान श्री राम के राज्याभिषेक का यह दिवस साथ ही चैत्र नवरात्र अर्थात शक्ति के आराधना का प्रथम दिवस प्रत्येक भारतीय के लिए श्रद्धा, सम्मान और उत्साह उमंग का दिन है। इसे परिवार, रिश्तेदारों, नव पीढ़ी और मित्रों संग मनाइए। जिन कवियों ने अपनी रचनाओं की प्रस्तुति से पूरे सदन को ओतप्रोत किया। गीतकार हरीश सोनी, गीतकार शंकर राव मोरे, कवियित्री संतोष ब्रह्मभट्ट, कवि धर्मवीर भारती, आशुकवि उमाशंकर भार्गव, शायर प्रेम सिंह प्रेम, वरिष्ठ कवि विष्णु साथी आदि ने शानदार रचनाओं का पाठ किया। वरिष्ठ कवियित्री एवं साहित्यकार डॉ रमा सिंह ने कविता पाठ के साथ पर्यावरण संरक्षण की शपथ दिलाई कि हम ऐसा कोई काम न करें जिससे सृष्टि की संरचना को क्षति पहुंचे। एवं अब तक हुई क्षति की पूर्ति करने में अपना संपूर्ण योगदान दें। तथा उपस्थित सुधिजन से आने वाले लोकसभा चुनाव में मतदान अवश्य करने का संकल्प दिलाया। कार्यक्रम का संचालन प्रेम सिंह प्रेम ने किया। अंत में ऋषिकेश भार्गव ने सभी का आभार व्यक्त किया।