वर्तमान परिपेक्ष्य में मृदा संरक्षण हेतु जैविक खाद की उपयोगिता पर कार्यशाला का आयोजन : NN81

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वर्तमान परिपेक्ष्य में मृदा संरक्षण हेतु जैविक खाद की उपयोगिता पर कार्यशाला का आयोजन : NN81

07/04/2024 | April 07, 2024 Last Updated 2024-04-07T05:19:30Z
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 वर्तमान परिपेक्ष्य में मृदा संरक्षण हेतु जैविक खाद की उपयोगिता पर कार्यशाला का आयोजन।


रिपोर्ट राजीव गुप्ता आष्टा जिला सीहोर एमपी 



आष्टा । मृदा संरक्षण के लिए सर्वोत्तम जैविक खाद विषय पर एक दिवसीय कृषक जागरूकता कार्यशाला का आयोजन पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली के तत्वाधान में प्रगत सामाजिक विकास संस्थान भोपाल द्वारा वफापुर ढाकनी, तहसील आष्टा में सफलतापूर्वक किया गया ।

इस कार्यशाला को जैविक खाद की उपयोगिता एवं बनाने की विधियों जैसे महत्वपूर्ण विषय पर किसानों हेतु आयोजित किया गया । कार्यशाला के उदघाटन सत्र में डॉ हर्षना मार्वल, वैज्ञानिक, भारतीय मौसम विभाग, भोपाल, सरपंच श्री संतोष खजुरिया, श्री संदीप तोड़वाल, वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र, सीहोर, श्री बहादुर सिंह मेवाड़ा, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी, कृषि विभाग, आष्टा, श्री डी पी वर्मा, ग्रामीण कृषि विकास अधिकारी, कृषि विभाग, आष्टा, श्री संजय सिंह ठाकुर, वरिष्ठ बागवानी विकास अधिकारी, उद्यानिकी विभाग, आष्टा, श्री हरी सिंह, पूर्व सरपंच, आदि अतिथि सम्मिलित हुए, जिनका स्वागत श्रीमती रीतू नरूला, अध्यक्ष, प्रगत सामाजिक विकास संस्थान भोपाल द्वारा कर विधिवत कार्यशाला प्रारंभ की गई । 

कार्यक्रम का संचालन जैविक खाद उद्यमी, श्री अनिल कुमार वर्मा द्वारा किया गया । 

कार्यशाला में किसानों को मृदा संरक्षण में जैविक खाद की उपयोगिता एवं बनाने की विधियों पर कृषि विशेषज्ञों द्वारा प्रकाश डाला गया, और विस्तृत जानकारी प्रदान की गई कि किस प्रकार जैविक खाद मृदा संरक्षण में उपयोगी है। संदीप तोडवाल जी ने जैविक खाद के महत्व बताते हुए स्पष्ट किया कि आज बदलती कृषि प्रणाली ने हमारे सामने कुछ प्रश्न चिन्ह खड़े किए हैं तथा रासायनिक खाद के हो रहे निरंतर प्रयोग से हम अपनी भूमि को बंजर करते जा रहे हैं और रसायनिक उर्वरक का अधिक प्रयोग अनेकों रोगों को जन्म देने का कारक है । इसके साथ यह भी बताया गया कि इलेक्ट्रोनिक विपरण से कैसे जैविक खेती में आगे बढ़ा जा सकता है ? श्री मेवाड़ा ने परमाली को जलाना मृदा स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है और किसानों से आग्रह किया कि उसके खाद बनाने के प्रयोग में लाए तथा आशा व्यक्त की कि इस कार्यशाला के आशातीत परिणाम आएंगे और लोग रसायनिक खादों को छोड़ जैविक खाद का महत्व, भूमि की उर्वरिक क्षमता, ऑर्गेनिक उत्पादों से अंततः लाभप्रदता के महत्व को समझेंगे । कार्यशाला में क्षेत्र के किसानों, खाद उद्यमी और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज , मुंबई के विद्यार्थियों ने प्रतिभागिता की । कार्यशाला के सत्रों के पूर्ण होने के उपरांत सरपंच द्वारा प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए l



"जैविक खेती को लेकर जागरूकता अभियान का ग्राम वफापुर ढकनी में हुआ शुभारम्भ, किसानों को किया जागरूक, 150 किसानों को दी ट्रेनिंग" 


प्राकृतिक खेती, जैविक खेती, नलवाई का ना जलाना, नलवाई जलाने से क्या-क्या नुकसान होते है,इसको लेकर ग्राम वफापुर ढाकनी में कृषक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आयोजित कार्यक्रम में जैविक खाद कैसे बनाते हैं, उसके बारे में किसानों को विस्तार से जानकारी दी गई। ग्राम वफापुर के युवा किसान अनिल वर्मा, सुनील वर्मा द्वारा किसान भाइयों को जैविक खाद बनाने की ट्रेनिंग दी गई। जिसमें ग्राम के व आस पास के ग्रामो के समस्त किसानों ने भाग लिया । किसान भाई देवकरण काका जी, विक्रम सिंह पटेल, सीताराम जी, हरि सिंह, मदन सिंह, यशवंतसिंह, बद्री प्रसाद, संतोष मंडलोई कोठरी, यशवंत मुगली, अनिल मीणा, हिरदेश भैया, रमेश बिलोरिया, लाखन सिंह ठाकुर सहित अनेकों किसान भाई ट्रेनिग में उपस्तिथ रहे । युवा कृषक अनिल वर्मा ने बताया कि हमारे किसान भाई लहसुन के पत्ते को जला देते हैं । अपने घर पर जो भी वेस्टेज मटेरियल रहता है जैसे भूसा है, बगदा है,इन सबकी हम खाद बना कर मार्केट में सप्लाई करते हैं ।


लगभग 20 रुपये किलो के हिसाब से बेचते है। यह कार्य सभी किसान भाई अपने घर पर कर सकते है और अतिरिक्त आय पा सकते है । हमारे यहां सब कुछ है, पशु है,गोबर है, कूड़ा कचरा है,बगदा है । इसके बाद भी किसान भाई जानकारी के अभाव में उसको जला देता है । वफापुर के युवा कृषक अनिल वर्मा पूरा मटेरियल को फेंकते नही है उसका उपयोग कर जैविक खाद बनाते है। गोमूत्र को भी काम में लेते हैं । केंचुए जो उत्पन्न होते हैं कैच में ही अच्छा खाद बनाते हैं । आयोजको ने सभी किसान भाइयों को धन्यवाद दिया कि वे ग्राम वफापुर आये जहां जैविक खाद बनता है । अन्य किसान भाई भी ग्राम बकापुर में आकर देख सकते हैं की यहा अनिल वर्मा के यहां कैसे जैविक खाद बनाई जाती है।