अंजनिया क्षेत्र में ईट भट्ठा संचालक कर रहे पर्यावरण नियमों की अनदेखी, नहीं हो रही कार्रवाई : NN81

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अंजनिया क्षेत्र में ईट भट्ठा संचालक कर रहे पर्यावरण नियमों की अनदेखी, नहीं हो रही कार्रवाई : NN81

07/04/2024 | April 07, 2024 Last Updated 2024-04-07T08:08:50Z
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 न्यूज़ नेशन 81 के लिए जनपद बिछिया, जिला मंडला से गजेंद्र पटेल 


अंजनिया क्षेत्र में ईट भट्ठा संचालक कर रहे पर्यावरण नियमों की अनदेखी, नहीं हो रही कार्रवाई 

 

 बिना नियम कायदे के संचालित है

ईट भट्टे




एंकर - जिले के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में बिना लाइसेंस के ईट भट्टे का संचालन धड़ल्ले से जारी है l इस बीच  जिम्मेवारों का इधर बिल्कुल भी ध्यान  केंद्रित नहीं है पर वे इधर सब कुछ जानते हुए भी अनजान बने है या उनको इस बात की जानकारी नहीं है  यह तो वही जान सकते है l जानकार बताते हैं कि ईट भट्ठा संचालन के लिए एनजीटी के आदेशानुसार ईट भट्टा  संचालकों को एनओसी लेनी पड़ती है तब जाकर भट्टो का संचालन हो पाता है नहीं तो एनओसी की स्थिति न होने पर वे ईट की पथाई भी नहीं कर सकते है l ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि खनिज विभाग पर्यावरण में लागू है l


 जानकारी के मुताबिक जनपद पंचायत बिछिया के अंतर्गत आने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में जैसे अंजनिया पंचायत और उसके आसपास गांव जिगराघाट, खामटीपुर, बोकर, बगली, नारा -दिवारा, बंजी, अहमदपुर, डुडका, रामनगर, मांद, में ये अवैध ईट भट्टे का कारोबार बेख़ौफ़ चल रहा है l इससे खनिज विभाग को हर महीने लाखों रुपए के राजस्व की हानि हो रही है मगर ईट भट्टे संचालकों पर कार्रवाई नहीं होने से संचालकों के हौसले बुलंद है l

 *अवैध ईट भट्टे से पर्यावरण को हो रहा नुकसान*!   


 अवैध ईट भट्टो से न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है बल्कि राजस्व एवं जंगल की लकड़ी, पानी, मिट्टी, चोरी की बिजली का जमकर  इस्तेमाल किया जा रहा है l इसके कारण लगातार भू-जल स्तर गिरता जा रहा है l उप तहसील अंजनिया के आसपास के क्षेत्र में दर्शाए हुए गांवो में अवैध ईट भत्टे का संचालन जोरों पर है l पर इधर इन लोगों पर कार्रवाई न होने के कारण ईट भत्टो की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है l पर प्रशासन बेखबर है l 


 *ग्रामीण ईलाके में नहीं हो सकते संचालित भट्टे*! 


 वही देखा जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल,दफ्तर, कार्यालय ,के अलावा पेड़ पौधों की 800 मीटर  परिधि से दूर अवैध ईट भट्टे का संचालन करना जारी है l लेकिन इन गांव में इनका पालन नहीं हो रहा है l वही गाव से सटकर यहां कान्हा नेशनल पार्क भी है l जिससे वन संपदा को क्षति पहुंच रही है l