स्लग :- श्रीबालीपुरधाम से सनातन संस्कृति की गूंज ।
नव संवत्सर हिंदू नव वर्षों के प्रति लोगो की जागरूकता बड़ी है ।
यह हिंदू एक जुटता का प्रतीक भी बना।
विक्रम संवत 2081 आज से प्रारंभ ।
एन्कर :- मनावर धार से हर्ष पाटीदार की रिपोर्ट।
विओ :- श्रीश्री 1008 श्री गजानन जी महाराज अम्बिका आश्रम श्रीबालिपुरधाम मे नवरात्रि का पर्व प्रारंभ हुआ।गुडी- पडवा उत्सव मनाया गया।
श्री योगेशजी महाराज ने वेदो के नियमानुसार अपनी सरल एवम सहज वाणी मे बताया कि यह नव वर्ष सनातन परंपराओं को बचाने का प्रयास भी है ।युवा पीढ़ी को इससे परिचित करने की आवश्यकता है एवम जरूरत भी है। सनातन परंपरा में चैत्र की नवरात्रि से नवसंवत्सर पर 9 दिनों तक मां शक्ति की आराधना एवम उपासना होती है।नवसंवतसर को ही नया साल मानना चाहिए ।नव वर्ष मंगलमय हो तथा प्रातःकालीन समय मे भगवान सूर्य को एक लौटा अर्घ्य देकर पूजन - अर्चन करना चाहिए।देश मे विभिन्न जातियों एवम समुदायो के लोग भी गुड़ी- पड़वा इसी दिन मनाते हैं। नौ दिनों की उपासना के शुभारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होता है । महर्षिकण्व वेद विद्या धाम , मां अंबिका संस्कृत पाठशाला , सनातन विद्या पीठ उज्जैन से लगभग 50 ब्राह्मण बटुक आचार्य जितेंद्र जोशी के नेतृत्व मे बालीपुरधाम आये ।वे वेद पाठ एवं यज्ञ आदि में भाग लेंगे।आचार्य बंटी महाराज रहेंगे। नव संवत्सर चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ होता है ।इसी को सनातन धर्म के अनुसार नव वर्ष माना जाता है ।धर्म ग्रंथो के अनुसार ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण शुरू किया था ।इसी दिन विष्णु भगवान के दशावतार मे से एक मत्स्य अवतार हुआ था ।उस समय चारों तरफ जल ही जल था, उस समय ब्रह्मा जी के द्वारा लिखित धर्म ग्रंथो की सुरक्षा के लिए एक नाव पर धर्मग्रंथो को रखा गया और भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार धारण करके उसे नाव को लेकर निरंतर जल में विहार करते हुए अंत में मनुजी को प्रदान किये।इसी दिन श्रीराम जी का राज्याभिषेक भी हुआ था और इसी दिन युधिष्ठिर का राज्याभिषेक हुआ था।समय अंतराल में राजा विक्रमादित्य के नाम से संवत्सर का नाम पड़ा।
आज मां शक्ति की आराधना से प्रारंभ होती है ।नवमी के दिन राम जन्मोत्सव मनाया जाता है। प्रतिपदा से मेष राशि और अश्विन नक्षत्र में चंद्रमा प्रकट होकर 15 दिनों तक प्रतिदिन एक कला बढ़ता हुआ पूर्णिमा के दिन चित्रा नक्षत्र में पूर्ण होने के कारण इस महीने का नाम भी चैत्र रखा गया है। उक्त कार्यक्रम श्री योगेश जी महाराज एवम सुधाकर जी महाराज के सान्निध्य में संपन्न हुआ । स्वामीनारायण संप्रदाय के अहमदाबाद गादी के प्रमुख देव स्वरूप स्वामी जी एवम उनकी टीम आई और श्री गुरुदेव से धार्मिक वार्तालाप किया जिसमें बताया कि स्वामीनारायण भगवान वड़ताल से यात्रा मे बालीपुरधाम भी रूके थे ।बालीपुरधाम से धरगाॅव ठहरे थे। जिस जिस गांव में स्वामी रूके थे वहां- वहाॅ पर स्वामीनारायण मंदिर बनाया गया ।अनिल जोशी एवम मनोज शर्मा भंडारे का कार्य देख रहे हैं ।पश्चात भण्डारा हुआ। उक्त जानकारी सतगुरु सेवा समिति के जगदीश पाटीदार ने दी।