क्रोध से ज्ञान का, लोभ से भक्ति का, ताम से धर्म का नाश होता है : NN81

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क्रोध से ज्ञान का, लोभ से भक्ति का, ताम से धर्म का नाश होता है : NN81

02/05/2024 | May 02, 2024 Last Updated 2024-05-01T18:51:44Z
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 *क्रोध से ज्ञान का, लोभ से भक्ति का, ताम से धर्म का नाश होता है- पं रमेशचंद्र अग्निहोत्री*


*शादी के पहले देवी दर्शन का काफी महत्व है- पं रमेशचंद्र अग्निहोत्री*


धार जिला संवाददाता महेश सिसोदिया 



बदनावर। बेजनाथ महादेव मंदिर परिसर में पं भागवताचार्य रमेशचंद्र अग्निहोत्री के मुखाग्र से नानीबाई का मायरा कथा का वाचन किया गया। कथा के तीसरे दिन रुकमणी मंगल प्रसंग सुनाया गया। रुकमणी प्रंसग के दौरान समुचा परिचर झुम उठा। रुकमणी हरण का दृश्य देख श्रोता भाव विभोर हो गए। तथा भगवान कृष्ण के विवाह के दौरान पांडाल में उपस्थित सभी श्रोता झुम उठे। इस दौरान नगर में कन्याशाला परिसर से सुसज्जीत बेलगाडी में नानी बाई का मायरा लाया जाएगा। मायरा की गाडी में भक्त नरसिंह मेहता नाचते भजन गाते दिखायी देंगे। गाडी को द्ववारकाधीश हॉक कर बैजनाथ महोदव मंदिर पहुंचेंगे।


कथा के तीसरे दिन पं अग्निहोत्री ने रुकमणी मंगल का प्रसंग सुनाया। जिसमें बताया कि रुकमणी जी के भाई उनका विवाह शिशुपाल के साथ करना चाहते थे। किंतु रुकमणी पहले ही भगवान कृष्ण को अपना पति मान चुकी थी। शादी के पहले देवी दर्शन का काफी महत्व है। तब से अब तक शादी के पहले देवी दर्शन की परंपरा कायम है। शादी के पहले रुकमणी देवी मंदिर दर्शन करने पहुॅची तब भगवान कृष्ण ने रुकमणी का हरण किया। रुकमणी हरण कर द्वारका पहॅुचने के बाद विवाह संपंन हुआ। रुकमणी हरण एवं विवाह प्रंसग के दौरान कृष्ण रुकमणी का दश्य देखा गया। जैसे ही द्वारकाधीश व रुकमणी बने कलाकारों ने कथा परिसर में प्रवेश किया। श्रोताओं ने पुष्प वर्षा कर अगवानी की गयी। विधा शर्मा ने कृष्ण एवं पमाकुंवर चौहान ने रुकमणी का वेश धारण किया। हरण करने एवं विवाह की रस्में भी अदा की गई। कथा में कृष्ण रुकमणी बने कलाकार आर्कशण का केन्द्र रहे। कथा में आगे बताया तीन बाते हमेशा नुकसान करती है। ताम से धर्म घटता है। क्रोध से ज्ञान का नाश होता है। लोभ से भक्ति का नाश होता है। इन तीनों बातों त्याग करने वाला भगवान की भक्ति को प्राप्त करता है। बेटी को लेकर कहा कि घर में जब बेटी पैदा होती है तो मॉ को सबसे अधिक प्रसन्नता होती है क्योंकि मॉ के दो नही चार हाथ हो जाएंगे। भक्ति को लेकर कहा कि मर्यादा भी एक चीज है जिस प्रकार भक्त भगवान को याद करते है तो उसकी लज्जा बचाने भगवान अवष्य चले आते है। 

 

कथा के दौरान पुरा पांडाल श्रोताओं से खचाखच भर गया। आसपास लगे पर्दे खोलकर कुर्सी लगाकर श्रोताओं के बैठने की व्यवस्था की गयी। कई संस्थाओं ने भगवताचार्य रमेशचंद अग्निहोत्री का शाल श्रीफल भेंटकर सम्मान किया। विप्र नारी मंडल, माहेश्वरी महिला मंडल, गणेश व्यायाम शाला, जांगिड ब्राहमण समाज, जैन श्री संघ, ब्राहमण समाज, एव्हरग्रीन महिला मंडल, राजेश अग्रवाल, नगर परिशद अध्यक्ष मीना शेखर यादव एवं पार्षदों ने भी पंडित जी का सम्मान किया गया।