*देश की मूल परंपराओं में ही छुपा है, विश्व शांति का संदेश:अशोक त्रिपाठी*
विशेष प्रतिनिधि *उज्जैन।* महाकाल नगरी उज्जैन में 20 नवंबर 2024 बुधवार को देश भर के चिंतकों ने भारतीय लोक परंपरा, ज्ञान एवं प्रकृती सहित संस्कृति से जुड़े कई पहलुओं पर विचार विमर्श किया एवं शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र भी प्रस्तुत किये। मौका था उज्जैन के साहित्यकार एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री डॉ मनोहर बैरागी द्वारा आयोजित भारतीय संस्कृति की छाप छोड़ने वाले एक अनूठे आयोजन का। अक्षर वार्ता अंतरराष्ट्रीय अवार्ड-2024 अलंकरण समारोह तथा शोध संगोष्ठी में " भारतीय ज्ञान एवं परंपराएं" विषय पर आयोजित इस व्याख्यान में स्वदेशी आंदोलन से जुड़े वरिष्ठ समीक्षक,चिंतक एवं समाजसेवी तथा जगत समूह के प्रमुख श्री अशोक त्रिपाठी, ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में ही सबकी भलाई और सुख की कामना की गई है। उन्होंने कहा कि इस परंपरा के महत्वपूर्ण मूल्य ही विश्व में शांति स्थापित कर सकते हैं। प्रकृति के साधनों का सर्वहित में प्रयोग करना ही सनातन धर्म का मूल प्रयोजन है। श्री त्रिपाठी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि विकास की अंधी दौड़ में हम प्रकृति का गलत तरीके से दोहन करते जा रहे हैं। इसके दुष्परिणाम भी हम देख रहे हैं। हम सबको जागरूक होने की आवश्यकता है,शोध पत्र प्रस्तुत करने वाले प्रबुद्धजनों से भी उन्होंने अपना शोध एवं चिंतन इस दिशा में ले जाने की बात कही। वहीं मुख्य अतिथि वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक एवं भाजपा के पूर्व मुख्य प्रदेश प्रवक्ता डॉ दीपक विजयवर्गीय, भोपाल ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा लाखों वर्ष पुरातन है। भारतीय ज्ञान परंपरा में अद्भुत खजाना है। प्राचीन युग में विज्ञान की उपलब्धियों को लेकर निरंतर शोध की आवश्यकता है।
विशिष्ट अतिथि डॉ रमण तिवारी भोपाल ने कहा कि संवाद के माध्यम से भारतीय ज्ञान परंपरा आज तक पहुंची है। योग ब्रह्म और जीव के संबंधों की व्याख्या करता है। आवश्यकता है।
अलंकरण समारोह तथा शोध संगोष्ठी व "अवार्ड 2024 का आयोजन कालिदास संस्कृत अकादमी उज्जैन में 20 नवम्बर को किया गया था।
स्वागत भाषण एवं कार्यक्रम की रूपरेखा संस्थाध्यक्ष एवं सम्पादक डॉ मोहन बैरागी ने प्रस्तुत की। आयोजन के पहले सत्र का शुभारंभ वाल्मीकि पीठ के महंत राज्यसभा सांसद श्री उमेशनाथ महाराज ने दीप प्रज्वलित कर आयोजन की शुरुआत की।
आयोजन में शोध पत्रों का वाचन किया। इनमें सुश्री वर्षा कुमारी, नालंदा, बिहार, सुश्री प्रियंका भटेवरा जैन, डॉ अभिलाषा शर्मा, डॉ रूपा भावसार, डॉ मोहन पुरी, नरसिंहगढ़ आदि सम्मिलित थे। डॉ रूपा भावसार की पुस्तक इलेक्ट्रॉनिक हिंदी पत्रकारिता की समीक्षा डॉक्टर नेत्रा रावणकर ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम में डॉ रूपा भावसार के ग्रंथ इलेक्ट्रॉनिक हिंदी पत्रकारिता: वर्तमान स्थिति और संभावनाएं, डॉ संजय कुमार बिहार की काव्य कृति रश्मिपथ एवं अक्षरवार्ता शोध पत्रिका के नवीन अंकों का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों द्वारा वाग्देवी की के तैल चित्र पर माल्यार्पण अर्पित कर पूजन किया गया।
अतिथियों का स्वागत कृष्ण बसंती संस्था के अध्यक्ष डॉ मोहन बैरागी, डॉ प्रभु चौधरी, महिदपुर, डॉ भेरूलाल मालवीय, शाजापुर, डॉ अजय शर्मा, श्री ओ पी वैष्णव, श्री पवन तिवारी, इंदौर, श्री प्रेम कुशवाह, भोपाल, डॉ श्वेता पंड्या, डॉ महिमा मरमट, आराध्य बैरागी, अद्वैत बैरागी आदि ने किया। भोपाल से उज्जैन पहुंचे समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ चिंतक एवं समाजसेवी श्री अशोक त्रिपाठी एवं विशिष्ट अतिथि भाजपा के पूर्व मुख्य प्रवक्ता डॉ.दीपक विजयवर्गीय समाजसेवी डॉ. रमन तिवारी एवं इक्शन इंडिया दिल्ली के राज्य ब्यूरो प्रमुख प्रेम कुशवाह को प्रतीक चिन्ह एवं अंगवस्त्र पहना कर स्वागत- सत्कार किया गया।
कार्यक्रम में देश के विभिन्न भागों से आए शिक्षाविदों और शोध अध्यताओं को अंतर्राष्ट्रीय अक्षर वार्ता अवार्ड से सम्मानित किया गया सम्मान स्वरूप उन्हें अंगवस्त्र, शील्ड, पदक एवं प्रशस्ति पत्र अर्पित किए गए। संगोष्ठी में बड़ी संख्या में प्रबुद्ध जनों, शिक्षकों एवं शोधकर्ताओं ने भाग लिया।
संगोष्ठी का संचालन ललित कला अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर जगदीश चंद्र शर्मा ने किया। आभार प्रदर्शन श्री ओ.पी. वैष्णव ने किया। इस समारोह में भाग लेने के लिए देश विदेश के अनेक विद्वान और अध्येता उज्जैन आए थे।