तक्षशिला, नालन्दा, बिक्रमबिल्ट, उदतीपुरा, सोमपुरा, पुष्पगिरि वल्लभी और जगदुल्ला जैसे विश्व विद्यालयों के संस्थापकों के योग्य उत्तराधिकारी सावित्री बाई फुले और ज्योतिबा फुले ने 1 जनवरी, 1848 को भारत में क्रांति की शुरुआत की और लड़कियों के लिए आज के भारत का निर्माण किया। सभी समुदायों ने पहले स्कूल की स्थापना की और फिर तीन वर्षों के भीतर एक के बाद एक 18 स्कूल स्थापित किये नारी मुक्ति और शिक्षा क्रांति (क्रांति) की लौ जलाकर।
►सावित्री बाई फुले भारत की पहली सामाजिक कार्यकर्ता, पहली मराठी कवयित्री, ब्राह्मण विधवा काशीबाई और उसके बच्चे को जीवन दान देकर प्रथम विधवा प्रसूति गृह, अनाथालय और अस्पताल की संस्थापक थीं।
सामाजिक क्रांति की शुरुआत करने वाले, सत्य साधक समाज को दिशा देने वाले, प्लेग महामारी में निस्वार्थ भाव से सेवा करते हुए अपना बलिदान देने वाली, ज्योतिबा फुले के नक्शेकदम पर चलने वाली सावित्री बाई फुले आज महान शिक्षा गुरुओं में गिनी जाती हैं दुनिया। । उनका जन्म 3 जनवरी को "शिक्षक दिवस" के रूप में मनाया जाता है।
वे मुझ पर कीचड़ और पत्थर फेंकते रहे और मैं भारतीय लड़कियों को पढ़ाता रहा