भाजपा क्या ओबीसी उम्मीदवार को देगी मौका ? नगर पालिका परिषद रामानुजगंज : NN81

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भाजपा क्या ओबीसी उम्मीदवार को देगी मौका ? नगर पालिका परिषद रामानुजगंज : NN81

18/01/2025 | जनवरी 18, 2025 Last Updated 2025-01-18T17:43:51Z
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 जनपद पंचायत रामचंद्रपुर जिला बलरामपुर छत्तीसगढ़ 

रिपोर्टर: ललन कुमार गुप्ता



नगर पालिका परिषद रामानुजगंज में चुनावी माहौल गर्माया उम्मीदवार कर रहे दावे पेश प्रबल दावेदार कौन?

छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी जोरों पर है। 18 जनवरी को मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन होना है, जिसके साथ ही चुनावी आचार संहिता लागू होने की संभावना प्रबल है। इस लिहाज से चुनाव 15 फरवरी तक संपन्न होने की संभावना है।

रामानुजगंज, जो अब नगर पंचायत से नगर पालिका परिषद बना है, इस बार पहली बार नगर पालिका परिषद के रूप में चुनाव में हिस्सा लेगा। यहां चुनावी माहौल गरम है और राजनीतिक दल अपनी तैयारियों में जुट गए हैं।


कांग्रेस का मंथन:

कांग्रेस ने नगरीय निकाय चुनावों के लिए पर्यवेक्षक और प्रभारी नियुक्त कर दिए हैं। संभावित प्रत्याशी पार्टी फोरम पर आवेदन जमा कर रहे हैं। कांग्रेस के दावेदारों ने अपने-अपने स्तर पर समर्थन जुटाने और पार्टी को विश्वास में लेने की प्रक्रिया तेज़ कर दी है।

भाजपा की रणनीति और चुनौतियाँ:

भाजपा ने रायपुर में आयोजित कार्यशाला में पूरे राज्य के नगरीय निकायों के लिए चुनावी कार्ययोजना तैयार की है। प्रत्याशी चयन के लिए जिलास्तर पर बैठकें हो रही हैं और प्रभारियों का दौरा जारी है।

पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती रामानुजगंज में ओबीसी वर्ग के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त प्रत्याशी का चयन करना है। क्षेत्र में ओबीसी वर्ग के समर्थन के साथ-साथ आरक्षण और क्षेत्रीय समीकरणों के बीच संतुलन बनाना पार्टी के लिए अहम होगा।

ओबीसी आरक्षण के मुद्दे से जटिल हुए समीकरण:

रामानुजगंज नगर पालिका क्षेत्र में ओबीसी वर्ग की आबादी(8387) 53% है, जो चुनाव को प्रभावित करने की क्षमता रखती है। ओबीसी समुदाय के नेताओं और कार्यकर्ताओं का मानना है कि उन्हें पिछले चुनावों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला। भाजपा पर आरोप है कि उसने लगातार तीन चुनावों में अग्रवाल समाज से ही प्रत्याशी दिए, जबकि अग्रवाल समाज की वोटिंग संख्या महज 200 के आसपास है।

ओबीसी वर्ग का सर्वे रिपोर्ट नगरी निकाय रामानुजगंज:

ओबीसी समुदाय ने इस बार टिकट की मांग तेज कर दी है। उनका कहना है कि क्षेत्र के सामाजिक समीकरण और भाजपा की राजनीतिक सफलता के लिए ओबीसी प्रत्याशी उतारना अनिवार्य है।

प्रत्याशी चयन में उलझन और संभावित दावेदार:



                   रमन अग्रवाल:

वर्तमान नगर पंचायत अध्यक्ष रमन अग्रवाल लगातार दो बार जीत चुके हैं। उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल में सार्वजनिक मंच से घोषणा की थी कि यह उनका अंतिम कार्यकाल होगा। इसके बावजूद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षण की घोषणा के बाद उनके समर्थकों ने पुनः उन्हें चुनाव लड़ाने की चर्चा शुरू कर दी है।

हालांकि, रमन अग्रवाल और स्थानीय विधायक व केबिनेट मंत्री रामविचार नेताम के बीच पिछले 10 वर्षों से बनी दूरी उनकी उम्मीदवारी में रोड़ा बन सकती है। इसके अलावा भाजपा के ओबीसी आरक्षण से जुड़े विरोधों और ओबीसी वर्ग की बढ़ती मांग के कारण उनका टिकट पाना मुश्किल दिखता है।

                        शैलेश गुप्ता:

पूर्व नगर पंचायत उपाध्यक्ष और भाजपा के ओबीसी मोर्चा के जिला महामंत्री शैलेश गुप्ता अध्यक्ष पद के लिए प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। उन्होंने वर्षों से क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाई है और पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच अच्छी पकड़ रखते हैं। उनकी सक्रियता, अनुभव और ओबीसी वर्ग से संबंध उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाता हैं।

                       शर्मिला गुप्ता:

भाजपा की पूर्व मंडल अध्यक्ष श्रीमती शर्मिला गुप्ता भी प्रमुख दावेदारों में हैं। यह पार्टी के प्रति समर्पित एवं सक्रिय रहने वाली महिला नेत्री है अगर महिला आरक्षण  होता तो उनके पक्ष में समीकरण जाती ।

                               उषा गुप्ता:

पूर्व नगर पंचायत उपाध्यक्ष और लगातार चार बार पार्षद रह चुकी श्रीमती उषा गुप्ता भी दावेदारी कर रही हैं। वह ओबीसी वर्ग से हैं और उनके पास स्थानीय स्तर पर प्रभावशाली समर्थन है।

         कांग्रेस और भाजपा के बीच मुकाबला:

2009 के चुनाव में कांग्रेस के ओबीसी वर्ग के उम्मीदवार ने भाजपा के अग्रवाल उम्मीदवार को 500 से अधिक मतों से हराया था। वहीं, रमन अग्रवाल ने पहली बार कांग्रेस के कमजोर उम्मीदवार के खिलाफ जीत दर्ज की थी। दूसरी बार, कांग्रेस की चुनावी निष्क्रियता और जोड़-तोड़ की राजनीति से उन्हें जीत मिली।

इस बार कांग्रेस भी पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। ओबीसी आरक्षण के मुद्दे को लेकर कांग्रेस भाजपा पर लगातार हमलावर है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा ने ओबीसी वर्ग का आरक्षण में हक छीना है।

स्थानीय विधायक की भूमिका होगी निर्णायक:

रामानुजगंज विधानसभा के वर्तमान विधायक और वरिष्ठ केबिनेट मंत्री रामविचार नेताम की भूमिका उम्मीदवार चयन में महत्वपूर्ण होगी। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जिस प्रत्याशी को विधायक और स्थानीय नेताओं का समर्थन मिलेगा, उसका टिकट सुनिश्चित है।

चुनाव की तैयारी और आगे का परिदृश्य:

चुनावी प्रत्याशी अभी से जनसंपर्क और समर्थन जुटाने में सक्रिय हो गए हैं। हालांकि, अंतिम निर्णय और औपचारिक घोषणा के लिए राजनीतिक दलों द्वारा आंतरिक चर्चा जारी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा क्षेत्रीय समीकरणों, ओबीसी आरक्षण, और महिला प्रतिनिधित्व के बीच किसे टिकट देती है।

चुनाव न केवल प्रत्याशियों के राजनीतिक भविष्य, बल्कि रामानुजगंज नगर पालिका परिषद के नए स्वरूप को भी आकार देगा। जनता इस बार उम्मीदवार की छवि, सक्रियता और मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रही है।

आने वाले दिनों में टिकट वितरण और आचार संहिता की घोषणा के बाद चुनावी मुकाबला और दिलचस्प हो जाएगा।