पिड़ावा तहसील से
संवाददाता मोहम्मद इस्लाम
पिड़ावा कस्बे के
शामी अहमद मासूम ने
यह क्या खूब नजम लिखी है
पाला पोसा बड़ा किया।
बेटी तूने ये क्या किया।
चन्द लम्हों कि मोहब्बत में।
तूने हमे रुसवा किया।
चहकती थी तेरे हसने से मेरी बगिया।
तेने मेरे आंगन को सुना किया।
भूल गई तू बचपन मेरे कंधों का।
तेने मुझे जो छोड़ने का फैसला किया।
ख्वाहिशें मार एक एक पाई जोड़ी।
हमने तेरा जहेज़ इखट्टा किया।
वो डोली में बैठाने के अरमान।
पर सब पर तूने पानी फेर दिया।
चला करता था में शान व शौकत से।
रास्ते में पर तूने सर निचा करा दिया।
रोज़ रोती है मां तेरी तुझे याद करके।
तूने ममता को शर्मसार किया।
बर्दाश्त नहीं होती ज़िल्लत मुझसे मेरी
पर मज़हब ने भी खुदक़शी से इंकार किया।
देख कर मेरी हालत मेरा दोस्त।
कहता हे शुक्र हे खुदा तेने मुझे बे ओलाद किया।।
पाला पोसा बढ़ा किया,,,,
बेटी तूने ये क्या किया