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भाजपा पार्षदों ने कांग्रेस का दामन थामा या कांग्रेस के पार्षद ने भाजपा का दामन, नगर में बना चर्चा का विषय-NN81

 आठ पार्षदो  ने सी एम ओ को दिया अध्यक्ष  से सर्मथन वापस का  लेटर 

संजू नामदेव खिरकिया । नगर में राजनीति में मंगवार का दिन चर्चा  का बाजार गर्म कर गया दोपहर करीब 12 बजे नगर के कुछ पार्षदों ने मुख्य नगर पालिका अधिकारी महेंद्र शर्मा को पत्र प्रेषित किया। पार्षदों ने अपने आवेदन में कहा कि भारतीय जनता पार्टी समर्थित व अन्य नगर परिषद खिरकिया के पार्षद है। हम नगर परिषद अध्यक्ष इंद्रजीत कौर के कार्य व्यवहार से संतुष्ट नहीं हैं इस कारण हम अपना समर्थन वापिस लेते हैं और मुख्य नगर पालिका अधिकारी से मांग करते हैं कि नगर परिषद अध्यक्ष को हटाया जाये। इस दौरान नगर परिषद उपाध्यक्ष विजयंत गौर, नितिन गुप्ता, सुरेंद्र आठनेरे, राजेश मालाकार,, सोनम सोनी, नेहा दुआ, किरण आठनेरे, लक्ष्मी यादव कुल आठ पार्षद इसमें भी एक कांग्रेस का मौजूद रहे। 

पत्र में हस्ताक्षर बारह के उपस्तिथ कुल आठ 

मुख्य नगर पालिका अधिकारी को दिय  अध्यक्ष से  समर्थन वापसी पर सवाल यह  खड़ा होता हे कि जब हस्ताक्षर बारह के तो उपस्तिथ आठ क्यो और सादे कागज पर आवेदन क्यो यदि किरण आठनेरे जो कांग्रेस की टिकिट पर चुनाव लड़के परिषद में पहुंची उनको अविश्वास प्रस्ताव लाना है तो बीजेपी के पार्षद के साथ क्यो विगत दिनों तक यही बीजेपी पार्षद इनके वार्ड में काम होने का आरोप लगाकर भाजपा संगठन से भाजपा से ज्यादा पूछ परखा कांग्रेस के पार्षदो की होना बताकर अध्यक्ष का विरोध कर रहे थे तो फिर यह रिश्ता क्या कहलाता है जानना जरूरी हो रहा है।  मामला जो भी  हे भाजपा परिवार के अंदर का मामला था पर नगर की वार्ड तीन की कांग्रेस सार्थितपार्षद का सात बीजेपी  के  पार्षदों के  साथ  जाकर   समर्थन  आपसी की माँग करना अलग ही  कहानी  की और  इशारा कर रहा हे । इन  सब के बीच देखना यह भी हे की  कुर्सी की इस लड़ाई के बीच नगर के हित में कोन कोन काम कर रहा किन जनप्रतिनिधियों को जनता की फ़िक्र हे या वो अपना हित साधने में ही लगे हे यह भी नगर की जनता को देखने में आ रहा है।

भाजपा से सवाल

भ्रष्टाचार का  कोई आरोप नहीं, समस्या  सिर्फ विकाश कार्य न होने या फंड की कमी, तो गोर करने वाली बात यह कि जब  नीचे  से ऊपर प्रदेश और केंद्र में भाजपा की ही सरकार है, तो  जिले के जबाबदार लोगो द्वारा अध्यक्ष को मजबूती देने के लिए फंड क्यों नहीं दिलवाया गया? भाजपा समर्थित महिला अध्यक्ष को हटाने की इस कवायद ने जिले की राजनीति को गर्मा दिया है। खास बात यह है कि अध्यक्ष पर भ्रष्टाचार या अनियमितता का कोई आरोप नहीं है, फिर भी भाजपा के अपने ही पार्षद उन्हें हटाने पर आमादा हैं।

भाजपा की साख पर लग रहा बट्टा 

विश्लेषकों का कहना है कि यदि खिरकिया नगर परिषद में अविश्वास प्रस्ताव आता है तो यह भाजपा की साख और अनुशासन पर बड़ा सवाल होगा।  अनुशासन के लीय  विख्यात पार्टी में ऐसा कया हुआ कि बिना किसी  भ्रष्टाचार के आरोप के एक महिला अध्यक्ष को हटाने के  लिय पिछले क़रीब दो महीनों से भरसक प्रयास तमाम प्रकार  से किय  जा रहे जबकि टिमरनी और सिराली नगर परिषद में भ्रष्टाचार के आरोपों की चर्चा रही है। हरदा नगर पालिका में भी अध्यक्ष के खिलाफ पार्षद मुखर रहे हैं। इसके बावजूद निशाना केवल खिरकिया की अध्यक्ष पर साधा जा रहा है। यह स्थिति भाजपा संगठन की मजबूती और अनुशासन पर सवाल खड़े कर रही है।

भाजपा में आपसी मनमुटाव उजागर

हरदा जिले में तीन नगर परिषद और एक नगर पालिका हैं और चारों ही जगह भाजपा समर्थित अध्यक्ष हैं। लेकिन खिरकिया में आपसी तालमेल की कमी और व्यक्तिगत स्वार्थ इतने हावी हो चुके हैं कि भाजपा के लोग ही अपनी पार्टी की अध्यक्ष को हटाने की तैयारी कर रहे हैं। भाजपा पार्षद कई बार शहर में काम न होने का आरोप जता चुके हैं। पूर्व कृषि मंत्री कमल पटेल, जिन्होंने इंद्रजीत कौर महेंद्र सिंह खनूजा का नाम अध्यक्ष पद के लिए प्रस्तावित किया था, उन्हीं के पास पार्षद कई बार जाकर अध्यक्ष को बदलने की गुहार लगा चुके हैं। इस्तीफा देने के लिए हमेशा तैयार रहने वाली अध्यक्ष इस बार अड़ी हुई हैं। उनका एसा मानना है कि मेरे तीन साल पूरे हो गए। मैंने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया। मुझ पर भ्रष्टाचार या अनियमितता का कोई आरोप नहीं है। विपक्ष ने भी कभी ऐसे आरोप नहीं लगाए। तो फिर मुझे क्यों हटाया जा रहा है? मेरा कसूर आखिर कया  यह बताया जाए।

भाजपा की सरकार फिर फंड क्यो नही

खिरकिया में यह स्थिति क्यों बनी? फंड की कमी का सवाल भी बड़ा है , प्रदेश और केंद्र में भाजपा की ही सरकार है और हरदा में बड़े-बड़े नेता मौजूद हैं, तो अध्यक्ष को मजबूती देने के लिए फंड क्यों नहीं दिलवाया गया? कुल मिलाकर, यदि खिरकिया नगर परिषद में भाजपा के ही पार्षद अपनी अध्यक्ष को बदलने के लिए आगे आते हैं, तो सवाल यह भी उठता है कि जिले की अन्य विवादित नगर परिषदों का क्या होगा? क्या यह शुरुआत भाजपा के लिए अच्छे संकेत नहीं है? क्या यह संदेश प्रदेश स्तर तक जाएगा।

जनसंघ के जमाने और  आर एस एस से रही हे खनूजा परिवार की  पृष्ठभूमी 

 नगर में पुरानी भाजपा की बात  की जाती हे तो जनसंघ के समय को याद किया जाय तो वर्तमान में उँगलियों पर गिनती के लोग ही पुराने भाजपाई बचे हे जो राजनीति से जुड़े हुए हे उनही में से एक यह  खनूजा (सिख) समाज का परिवार  हे ।नप अध्यक्ष के पति सरदार महेंद्र सिह  खनूजा  बाल स्वयं सेवक के समय में संघ से जुड़े हुए हे वही संगठन की   दृष्टि से उनके पास उनकी युवा अवस्था में  नगर सह व्यवस्था प्रमुख का दायित्व भी रहा हे वह भी ऐसे समय जब सत्ता में कांग्रेस बक बोल बाला था।

 किसने किसका दामन थामा 

 भाजपा के पार्षद लंबे समय से अध्यक्ष के ख़िलाफ़ बिगुल बजा  चुके थे  पूर्व मंत्री कमल पटेल  सहित क्लेक्टर महोदय के पास भी जा  चुके थे एम तब तक नगर परिषद भी  विपक्ष की  नेता किरण आठनेरे  इनके साथ नहीं थी । पहली बार वो आई और  समर्थन वापसी का  खेला हो गया ।इस लिय नगर में यह बात भी चर्चा  का बाजार  गर्म किय हे की भाजपा के पार्षदों ने  कांग्रेस का दामन थामा या कांग्रेस के पार्षद ने भाजपा का ।

इनका कहना है

पार्षदो के द्वारा अविश्वास प्रस्ताव आवेदन दिया गया है फ़ाइल कलेक्टर महोदय को भेजी जाएगी।

महेन्द्र शर्मा, मुख्य नगर पालिका अधिकारी खिरकिया।

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