*काल के कपाल से कमाल कर दिया बंधु त्रिपुटी की निश्रा से उपद्यान तप हो गया*
रतलाम : जैन शासन वैसे ही कई चमत्कारो से भरा पड़ा है । जहाँ साइंस में एक दिन भी भूखा रहना मुश्किल बताया है वहीं जिन शासन में 31 उपवास और उससे अधिक उपवास करने वाले कई महारथी तपस्वी मौजूद है । ऐसा ही एक चमत्कार जैन शासन की गौरव , युवाओं के हृदय सम्राट , मालवा के रत्न , तप- चारित्र और मैनेजमेंट के गुरु बंधु त्रिपुटी मुनिराज श्री आगम - प्रशम और वज्र महाराजा के सानिध्य में देखने को मिला । ७ वर्ष के नन्हे बालक से लेकर ८० वर्ष के वयोवृद्ध दादीमाँ तक ने ४७ दिन की उग्र उपद्यान तप की तपस्या सरलता और निर्विघ्नता के साथ संपन्न हुई जिसका चिंतन करने मात्र से हमारे रोंगटे खड़े हो जाते है ऐसा ये उपद्यान तप जिसमे एक दिन उपवास और एक दिन खाना वो भी एक बैठक पर और उसमें भी हरी सब्ज़ियो तथा फ्रूट्स का पूर्ण त्याग है ना चमत्कार ? और ये चमत्कार किसी एक ने नहीं ३०० तीन सो आराधको ने पालिताना गुजरात की पुण्य भूमि में पूज्य श्री की निश्रा में करके दिखाया ।
वाक़ई में ये पूज्य श्री पर उनके गुरु शांति सूरी , नवरत्न और अपूर्व रत्न की मंगल कृपा ही है की इतनी कम आयु में आपके माध्यम से इतने तपस्वियों ने ये गौरवशाली इतिहास बनाया और धन्य वे सभी तपस्वी जिनको ऐसे गुरु का सानिध्य प्राप्त हुआ । इस तप को करने वाली आराधक श्रीमती कुसुम देवी भंडारी उर श्रीमती सुशीला चानोदिया ने हमारे संवाददाता को बताया कि हम जब दोनों टाइम भी खाते है तो कई बार हमे घबराहट और अजीर्ण की शिकायत लगती है मगर पूज्यश्री की निश्रा में आयोजित इस उपद्यान तप में हमे एक भी दिन इस तरह की समस्या से जूझना नहीं पड़ा । पूरे भारत में इस समय डेंगू और वायरल इन्फेक्शन की शिकायत में कई लोग बीमार पड़े लेकिन हम तीन सो आराधको में कोई भी बीमार नहीं पड़ा और कभी कोई बीमार पड़ा तो भी पूज्य श्री के वास्क्षेप रूपी आशीर्वाद ने उसकी संपूर्ण बीमारी को समाप्त कर दिया ।