पोड़ी उपरोड़ा मे चल रहि धड़ल्ले से राखड़ पटिंग पर ग्रामीणों ने जताई आपत्ति : NN81

Notification

×

Iklan

पोड़ी उपरोड़ा मे चल रहि धड़ल्ले से राखड़ पटिंग पर ग्रामीणों ने जताई आपत्ति : NN81

03/04/2024 | April 03, 2024 Last Updated 2024-04-03T13:29:43Z
    Share on

 छत्तीसगढ़ पोड़ी उपरोड़ा

नानक राजपुत

स्लग :- पोड़ी उपरोड़ा मे चल रहि धड़ल्ले से राखड़ पटिंग पर ग्रामीणों ने जताई आपत्ति, जिस जमीन पर राखड़ डाली जा रहि उक्त जमीन पर 5 एकड़ के पट्टे कैसे बने, sdm से हुई शिकायत पर पटवारी ने किया जांच।



एंकर :-  पोड़ी उपरोड़ा क्षेत्र मे इन दिनों भू-माफियाओं के कारनामे बढ़ते जा रहे हैं इस कारण क्षेत्र में जमीन को लेकर विवाद उत्पन्न हो रहा, एक तरफ जहा वर्षो से काबिज जमीन पे वन पट्टा प्राप्त को लेकर ग्रामीण परेशान है वही दूसरी ओर पैसे के रसूखदारों को पट्टा मिल जाना संदेह के दायरे मे है, कुछ यही खेल पोड़ी उपरोड़ा मे चल रहा है जिस जमीन मे सरपंच सचिव ग्रामीण कुछ वर्ष पूर्व गौठान के लिए जमीन तलाश रहे थे उस वक़्त यह जमीन किसी के नाम ऑनलाइन नहीं चढी हुई थी बल्कि घासमद कि जमीन रजिस्टर थी, लेकिन आज वही जमीन मे शिवकुमार गोभील भूस्वामी कैसे हो गए जबकि वह पोड़ी उपरोड़ा के निवासी ही नहीं, ना ही उसने यहां निवास किया है ना उक्त जमीन मे काबिज कर फ़सल उगाई है, पूरी तरीके से फर्जीवाड़ा कर जमीन अपने नाम करवा ली गई, ग्रामीण जिन किसानो के जमीन पर जबरन राखड़ पटिंग कि जारी व शिवकुमार के बेटे के बिच जमकर विवाद हुआ, मामले मे पोड़ी उपरोड़ा निवासी व विधायक प्रतिनिधि सहेत्तर सिंह राज ने sdm से शिकायत कि है व खसरा नंबर 355/22 मे प्राप्त पट्टा किस आधार पर बनी है पूर्ण रूप से जांच कराये जाने कि मांग कि है। उनका कहना है कि पोड़ी उपरोड़ा निवास वर्षो से जितने जमीन मे काबिज रहते हैं खेत करते हैं उनके द्वारा जितने जमीन पर कब्जा बताया जाता उनके अनुरूप कभी जमीन का पट्टा ही नहीं मिला अगर 5 एकड़ जमीन का कब्जा बताएंगे तो बडी मुश्किल से 10 -15 डिसमिल का ही पट्टा प्राप्त होता है लेकिन शिवकुमार गोभील जोकि पोड़ी का निवासी भी नहीं उसको कैसे 5 एकड़ जमीन का पट्टा मिल गया पूरी तरह से संदेह के दायरे मे हैं जिसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। 


355/22 खसरा नंबर कि जमीन शिवकुमार गोभील के नाम पर दर्ज है, जिसे 5 एकड़ भूमि का पट्टा प्राप्त है पोड़ी उपरोड़ा निवासी नहीं होने के बावजूद इतने बड़े मात्रा मे भूस्वामी बनना संदेहास्पद है, क्युकी पहले यह काफ़ी जंगल थी और नेशनल हाइवे बनने के बाद जमीन काफ़ी निचे चली गई थी, एकाएक धीरे धीरे उक्त जमीन पर राखड़ गिरने शुरु हो गए पहले तो लोगो ने सोचा कि इस जमीन पर सायद राखड़ डेम बनाया जा रहा लेकिन बाद मे पता चला कि इस जमीन का मालिक भी बन गया है कुछ दिन पहले भी इसकि जांच कि गई लेकिन जांच अधूरी रह गई, आज कि स्थिति मे सड़क किनारे कि जमीन लगभग 1 लाख रु डिसमिल चल रहि है इससे अनुमानित लगाया जा सकता है कि उक्त जमीन कि कीमत 5 करोड़ रूपये कि हो सकती है, इतने बड़े पैमाने मे जमीन का मालिकाना हक बनना संदेह को दर्शाता है फिलहाल जांच जारी है जांच होते तक राखड़ पटिंग का कार्य बंद रहेगा। 



इस पुरे कार्य को शिवकुमार गोभील के बेटे के द्वारा करवाया जा रहा है जिसका का कहना है कि उक्त जमीन का अधिकार अभिलेख उपलब्ध है व जमीन के सभी दस्तावेज इनके पास है जो कि कार्यालय मे जमा किया गया है जांच को लेकर कहा कि ग्रामीणो का विरोध जायज है इनका सहयोग करता हूँ और जमीन मे प्राप्त पट्टे को लेकर बिलकुल जांच होनी चाहिए इसमें कोई दोमत नहीं है, क्युकी मेरे दादा परदादाओ ने इस जमीन मे काबिज किया था जिसके सभी प्रमाण भी है इस जमीन मे फलदार पौधे भी लगाए गए थे,


फिलहाल ग्रामीणों के द्वारा विरोध व विधायक प्रतिनिधि सहेत्तर सिंह राज के द्वारा आवेदन के आधार पर राखड़ पटिंग का कार्य रोक दिया है और मौके पर उपस्थित पोड़ी उपरोड़ा पटवारी जितेश जायसवाल ने दोनों पक्षो के बयान दर्ज किये वही पंचनामा बनाकर जांच प्रतिवेदन न्यायालय मे पेश किये गए।