जीवन जीने की कला आवश्यक है तो जीवन भी बड़ा आनंदमय है : NN81

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जीवन जीने की कला आवश्यक है तो जीवन भी बड़ा आनंदमय है : NN81

30/08/2024 | August 30, 2024 Last Updated 2024-08-30T17:47:47Z
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 स्लग :----जीवन जीने की कला आवश्यक है तो जीवन भी बड़ा आनंदमय है। 

ओम मंगलम् ओमकार मंगलम्, गुरु मंगलम गुरु पाद मंगलम्।। 

  

पत्रकार  :- हर्ष  पाटीदार

 

 स्थान : -मनावर

 

विओ: --------


श्री श्री 1008 श्री गजानन जी महाराज अंबिका आश्रम श्रीबालीपुरधाम    के आशीर्वाद एवं प्रेरणा से तथा श्री योगेश जी महाराज की कृपा दृर्ष्टी से श्रीबन्कनाथ  अटल दरबार सत्यदेव मंदिर में प्रति माह की एकादशी याने   भाद्र पक्ष की एकादशी को श्रीमद्भागवत गीता के पांच श्लोक अर्थ सहित ,एकादशी माहात्म्य, हरे राम- हरे कृष्णा, ओम मंगलम ओमकार मंगलम  और गुरु महाराजा गुरु की जय जय-पार ब्रम्ह सदगुरु की  जय जय  की  धुन सभी भक्त बडी तन्मयता  से गाते  हैं । जीवन साधन से नहीं अपितु साधना से प्राप्त होता है। केवल मानव शरीर में जन्म मिल जाना ही पर्याप्त नहीं हैअपितु हमें जीवन जीने कला भी आनी आवश्यक है। जीवन तो बड़ा आनंदमय है जो कुछ सीखा है उसे जीवन में उतारने की कला सिखाते हैं सतगुरु । अंत में गुरुजी (बाबा जी )की आरती कर समापन  किया।पश्चात भक्तो को परसादी  बांटी।समिति के जगदीश पाटीदार अध्यापक, रामेश्वर जी पाटीदार ,नवनीत पाटीदार ,रूपचंद जी पाटीदार,दिलीप पाटीदार  मेडिकल  स्टोरस,भगवान जी,कांछी जी, गिरिश दीक्षित ,शयम एवं अन्य भक्तगण उपस्थित है