क्या दादा गिरी से अपने ही विभाग की जमीन को छुड़ाएंगे जिम्मेदार.... ?
नाटकीय सीमांकन में भय व्याप्त कर की गई अनेक अनियमिताएं।
वक्फ व कमेटी की आपत्ति के बावजूद जारी रही मनमानी।
राजगढ़,,
जिला मुख्यालय पर देश दुनिया की प्रसिद्ध की बाबा बदख्शानी की दरगाह शरीफ परिसर की कीमती भूमि पर अब लगता है भूमाफियाओं की नजर पड़ गई है , पिछले कुछ दिनों से परिसर की भूमि को लेकर जारी बयान आदेश निर्देश को देखें तो कई विरोधाभासी चीजों ने प्रशासन की बड़ी चूक सामने लाकर रख दी है एक और जहां शासन की ही जिम्मेदार संस्था वक्फ बोर्ड ने तमाम प्रमाणौ के बावजूद लिखित व मौखिक आपत्ति दर्ज कराने के बाद भी जिम्मेदारो की हट धर्मिता के तहत एक कथित सीमांकन प्रक्रिया को पूरा किया गया इस प्रकार के किसी भी सीमांकन को आज तक जिले के या आसपास के क्षेत्र में भी नहीं देखा गया।।
*क्या रहा मामला*
दरअसल मार्च में होने वाले सालाना उर्स के नजदीक आते ही सामाजिक राजनीति के रंग ने नया रूप लेते हुए कई दावपेच सामने आए इसी के तहत वर्तमान वक्फ कमेटी ने अपनी ही जमीन पर काबिज किराया न देने वाले कुछ घूमटी वालों को लेकर वक्फ बोर्ड भोपाल में लिखित आवेदन देते हुए बताया कि वक्फ की भूमि पर कुछ कच्चे दुकानदार किराया न देकर काबिज है अतः इनसे किराया अनुबंध अथवा हटाए जाने की कार्यवाही कर अपनी भूमि को मुक्त कराया जाए इसी क्रम को आगे बढ़ते हुए वक्त बोर्ड द्वारा दिनांक 18/ 9 / 24 को अनुविभागीय अधिकारी राजगढ़ को पत्र जारी कर अपनी ही भूमि से घूमती संचालकों को हटवाने को लिखा क्योंकि समिति द्वारा बोर्ड को लिखे पत्र में उल्लेखित किया गया था कि उक्त स्थान पर स्थाई दुकान है निर्मित कर समिति की आय बढ़ाने का प्रबंध किया जाना उचित होगा इसके बाद एसडीम राजगढ़ ने उक्त क्रम को आगे बढ़ाते हुए दिनांक 3/ 11/ 24 को मुख्य नगर पालिका अधिकारी राजगढ़ को 18/9/24 को प्राप्त संदर्भित पत्र के अनुसार निर्देशित किया कि वक्फ द्वारा कमेटी से द्वारा प्राप्त सूची के अनुसार अतिक्रमणकारियों से वक्फ की भूमि को भूमि को मुक्त कराया जाए इसी क्रम में पत्र प्राप्ति के तत्काल बाद 3 / 11/2024 में ही मुख्य नगर पालिका अधिकारी राजगढ़ द्वारा अतिक्रमणकारि दुकानदारों को 11 / 11/ 24 को सूचना पत्र जारी कर संदर्भित पत्रों के अनुसार तत्काल अतिक्रमण हटाने के साथ-साथ यह भी लिखा की गुमटी जिस स्थान पर रखी गई है वह वक्फ की भूमि है एवं उसे तीन दिवस में हटाने की चेतावनी भी दी गई ।
सीएमओ नगर पालिका द्वारा दिनांक 11/11/2024 को ही तहसीलदार को जारी पत्र क्रमांक /राजस्व / नपरा / 2024 / 26/ 86 । दिनांक 11/ 11/2024 को जारी पत्र अनुसार विषय में ही तमाम संबंधित विषयों को छोड़ते हुए सीमांकन की मांग की गई इसी दिनांक के जारी पत्र में अतिक्रमणकारियो को नगर पालिका ने उक्त भूमि का स्वामी वक्फ बोर्ड को माना था जबकि उक्त पत्र में मांग की गई की वक्फ बोर्ड को आवंटित भूमि का सीमांकन किया जाए , सीएमओ के पत्र अनुसार वक्फ बोर्ड को खुद ही कब्जेदार मानकर अतिक्रमणकारि बताया गया अर्थात जिस अतिक्रमण को हटाने के लिए वक्फ बोर्ड के आवेदन पर नपा को निर्देशित किया गया था उसके उलट नपा के निर्देश पर वक्फ को ही अतिक्रमणकारि मान लिया गया।
गौरतलब है कि 150 साल पुरानी उक्त राजगढ़ दरबार द्वारा दरगाह के लिए ताम पत्र पर पूर्णता भूमि स्वामी के रूप में लगभग साढे 18 हेक्टर भूमि को वसीयत के तौर पर सोपा गया था जबकि नपा द्वारा जारी पत्र में उक्त भूमि को आवंटित बताकर अपने आप में ही संदेह पैदा कर दिया गया और इस कथित पत्र के कृम को आगे बढ़ाते हुए दिनांक 22/11/2024 को ही अनुविभागी अधिकारी राजगढ़ ने कार्यालय राजगढ़ से जारी पत्र क्रमांक / 302 / स्टेनो / राजगढ़ / 2024 दिनांक 22.11.2024 को जारी आदेश में 11 सदस्य दल को तहसीलदार एवं सीएमओ के मार्गदर्शन में सीमांकन कराया जाने हेतु दिया गया था एवं तीन दिवस में उक्त भूमिका सीमांकन कर प्रतिवेदन पंचनामा मांगा गया गौरतलब है कि 11 सदस्य दल में पांच कर्मचारी नगर पालिका के ही रखे गए जो की समझ से परे है ।
*फिर खुली नींद*
तीन दिवस में सीमांकन कर प्रतिवेदन मांगे जाने को भूलकर सभी जिम्मेदार गहरी नींद में थे लेकिन अचानक 18 दिसंबर 24 को प्रभारी राजस्व निरीक्षक एवं मुख्य नगर पालिका अधिकारी एवं कर्मचारी मौके पर जा पहुंचे वा स्थाई वह अस्थाई दुकानों की सूची बनाकर एक प्रतिवेदन बनाते हुए उन्हें अतिक्रमणकारि मान लिया गया इसके बाद दिनांक 20 /12/2024 को नए दल का गठन कर सीमांकन के लिए आदेश जारी हुआ ,गौरतलब है कि किस जगह दो दिन पहले जाकर ही प्रभारी राजस्व निरीक्षक और मुख्य नगर पालिका अधिकारी के द्वारा अतिक्रमण कारियो को चिन्हित कर लिया गया इस जगह के लिए दो दिन बाद 20/12/2024 को पुण: दल गठित कर सीमांकन के लिए आदेश जारी हुआ और अगले ही दिन 21/12/2024 को गठित दल द्वारा सीमांकन के लिए मौके पर टीम पहुंच गई किंतु दरगाह कमेटी द्वारा आपत्ति दर्ज कर कहा गया कि बिना वक्फ बोर्ड की अनुमति के यह संभव नहीं है जिस पर 21/ 12 / 24 को ही पुण: पत्र जारी किया गया और वक्फ बोर्ड को भी सीमांकन में शामिल होने के लिए केवल दो दिवस का समय देकर तत्काल बुलाया गया दिनांक 23 / 12 / 2024 को ही भारी पुलिस बल की मौजूदगी में दरगाह परिसर को छावनी के रूप में तब्दील कर राजस्व विभाग व पुलिस के साथ नपा के अमले ने तमाम वक्फ के जिम्मेदार लोगों को दरकिनार करते हुए उनकी मौखिक आपत्तियों को स्वीकार ना करते हुए मनमानी रूप से मीसल सीमांकन का नाम लेकर आधा अधूरा मीसल व मीटर से बेतर्तीब सीमांकन कार्य प्रारंभ किया जब भी कोई इस तरह के गलत काम को बीच में टोकता तो उसे फटकार कर धमकी देकर रोक दिया जाता ऐसा मौके पर मौजूद आने जाने वाले दरगाह के श्रद्धालुओं के साथ जिम्मेदार लोगों ने भी स्वीकार किया।
*विरोधाभासी नाप के बावजूद जारी रही प्रक्रिया*
23/ 12 / 2024 से शुरू हुई नाटकीय सीमांकन प्रक्रिया में एक पूरा दिन तो यह तलाश करने में निकल गया की मीसन को नाप के लिए चिन्ह की शुरुआत कहां से की जाए उक्त कमेटी द्वारा बार-बार बताए जाने के बावजूद भी 125 साल पुराने कुए को चिन्ह के रूप में नहीं माना गया और अगले दिन 24/ 12/2024 को परिसर की भूमि के सीमांकन के लिए जेल के किसी चिन्ह के साथ पास ही स्थित कोई पुराने कुएं को माप के लिए निर्धारित कर मशीनों द्वारा नाटकीय घटनाक्रम के तहत दरगाह परिसर तक माप लाया गया इस तरह अलग-अलग माप आने पर भी जिम्मेदार यह मानने को त्यार नहीं थे कि उनके द्वारा किया जा रहा सीमांकन किसी भी तरह पारदर्शी नहीं है।
*रात के अंधेरे में भी जारी रही प्रक्रिया*
24/12/ 2024 को दोपहर में दरगाह कमेटी व वक्फ की आपत्ति के बाद दिखावे के लिए दरगाह परिसर स्थित कुएं से मीटर द्वारा नाप की शुरुआत हुई किंतु थाने परिसर के नजदीक जाते ही मीटर को वापस हटाते हुए फिर मनमर्जी पूर्वक मशीनों से नाप शुरू हुआ और नए चिन्ह के अनुसार नाप शुरू कर दिया गया जिसका काम देर रात तक अंधेरा होने के बावजूद जारी रहा वक्फ के जिम्मेदार सदर द्वारा जब रात के अंधेरे में परिसर में सीमांकन की कार्यवाही को रोकते हुए अगले दिन के लिए करने का निवेदन किया गया तो राजस्व कर्मियों की मौजूदगी के बावजूद पुलिस कर्मियों ने धमकाते हुए उन्हें रोकने का प्रयास किया लेकिन मौजूद कमेटी सदस्य व श्रद्धालु द्वारा कानून का हवाला देते हुए नियमों के तहत देर रात में सीमांकन प्रक्रिया किए जाने का सबब पूछा तो सभी बगले झांकने लगे और फिर पुलिस ने राजस्व विभाग पर राजस्व कर्मियों ने तहसीलदार पर और तहसीलदार ने अनुविभागीय अधिकारी के समक्ष जब यह बात पहुंचाई तो भारी भीड़ की मौजूदगी में ब मुश्किल इस सीमांकन को अगले दिन के लिए टाला गया यह भी कहा गया कि आपके अनुसार आपकी बात को रखते हुए कुएं से ही माप कीया जाएगा और आपको पूरी तरह से संतुष्ट किया जाएगा लेकिन अगले दिन 25/ 12/2024 को 1 दिन पहले ही कही बातों को जिम्मेदार भूल गए और आनंन फांनन भारी पुलिस बल की मौजूदगी में सीमांकन प्रक्रिया जारी कर देर शाम तक पूर्ण कर ली गई इस बीच को कमेटी के जिम्मेदारों ने मौखिक आपत्ति को दरकिनार होते देखा दो दिन की खामोशी को लिखित रूप से 25/ 12 / 24 को तहसीलदार के हाथ में सबसे पहले आपत्ति पत्र थमाते हुए उसकी प्राप्ति ली पत्र में लिखा गया कि हम इस पूरी प्रक्रिया से असहमत है हमारे द्वारा ना तो कोई सीमांकन का आवेदन दिया गया ना हम अपनी जमीन को नपवाना चाहते हैं ना ही हमारे द्वारा विधि अनुसार किसी भी प्रकार का चालान शुल्क जमा किया गया है जो सीमांकन किया जा रहा है वह भी पारदर्शीय नहीं है आधा मशीनों से किया जा रहा आधा मीटर से मैप भी गलत है । इस तरह इस सीमांकन प्रक्रिया को तत्काल निरस्त किया जाए क्योंकि उक्त भूमिका प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय में भी लंबित है एवं विचाराधीन प्रकरण के बाद भी इस तरह का सीमांकन किया जाना अनुचित है।
कमेटी की उक्त लिखित आपत्ति के बावजूद भी जिम्मेदारों ने कोई कार्रवाई नहीं रोकी और कथित सीमांकन जारी रहा अंतता 25/ 12 / 2024 को ही अपने ही द्वारा पूर्व में चिह्नित की गई स्थाई व अस्थाई दुकानों में से कई दुकानें को छोड़ते हुए कुछ भूमि का भाग अपने शासकीय नंबरों में दर्ज माना गया एवं पंचनामा बनाया गया लेकिन पंचनामे पर हस्ताक्षर से पूर्व वक्फ बोर्ड से आए जिम्मेदारों ने वा दरगाह कमेटी सदर ने लिखित रूप से पंचनामे पर पूर्णता आप्ति जताते हुए इस प्रक्रिया को अवैध माना वा अपने हस्ताक्षर से पूर्व पंचनामे पर ही आपत्ति को लिखित रूप से लिखते हुए ही हस्ताक्षर किए।
*वादे से मुकरते लगा दिए चिन्ह*
तीन दिवस के इस घटनाक्रम में लगातार आपत्तियों को देख जिम्मेदारों द्वारा कहा गया था कि केवल सीमांकन की प्रक्रिया को ही किया जा रहा है अभी किसी प्रकार का कोई अतिक्रमण हटाना या कब्जा प्राप्ति का कोई आदेश या निर्देश नहीं है ऐसे में आपको आपत्ति व अपील का पूरा समय दिया जाएगा लेकिन इन तमाम वादों को दरकिनार कर जिम्मेदारों ने मनमानी पूर्वक किए सीमांकन में अपने कार्य से उक्त भूमि स्वामी की भूमि को ही विवादित साबित करने की प्रक्रिया में ला दिया और इस प्रकार इस सीमांकन को ही संदेह के घेरे में लाखड़ा किया।
*इस तरह की बड़ी गलतियों को छोटी-छोटी मानते गए जिम्मेदार*
1/ सवा सौ साल पुराने कुए को ही 11 मीटर गलत जगह पर बताकर अपनी हंसी उड़ाने में जिम्मेदारों ने कोई कमी नहीं छोड़ी गौरतलब है कि उक्त कुएं का निर्माण खुद बाबा साहब ने अपने मौजूदगी में कराया था जबकि मिसल बंदोबस्त 1959 में किया गया इस तरह जब मिसल का जन्म ही कुए के निर्माण के बाद हुआ तो कुए का स्थान कैसे गलत हो सकता है।
2/ बिना मिसल नक्शे के बिना तीन दिनों तक सीमांकन कर खुद वक्फ कमेटी व बोर्ड को गुमराह करते रहे जिम्मेदार जिस प्रकार किसी भी सीमांकन में नजूल या राजस्व द्वारा मिसल नक्शा या किसी नशे के मूल प्रति को समक्ष रखा जाता है उसे प्रकार इतनी पुरानी भूमि पर मिसल नक्शे के न होने के बावजूद सीमांकन किया जाना समझ से परे हैं।
3/ गौरतलब है कि राजस्व अम्ले द्वारा प्रशासन के निर्देशों पर वर्ष 2017 में उक्त भूमि का सीमांकन किया गया था जिसमें परिसर की पूर्ण भूमि को सही मानते हुए नेशनल हाईवे के दूसरी और बने नपा कार्यालय व 12 अतिक्रमण कारीयो को चिन्हित कर नोटिस जारी किए गए थे जिसमें स्पष्ट रूप से लिखा गया था कि वक्फ की भूमि नेशनल हाईवे के दूसरी ओर स्थित नपा कार्यालय थाने की दिशा में भी है जिस पर अतिक्रमणकारि काबिज हैं लेकिन हाल ही में हुए इस नाटकीय सीमांकन में सड़क के दूसरी ओर के लोगों को क्लीन चिट देते हुए परिसर से ही शासकीय भूमिका निकाला जाना समझ से परे है ।
4/ इसी क्रम में वर्ष 2023 / 24 में भी संबंधित विभाग द्वारा सीमांकन के के आवेदन पर राजस्व अमले ने मोके का निरीक्षण कर गठित दल ने सीमांकन किया था जिसमें दरगाह परिसर की भूमि पुलिस लाइन सहीत अन्य दूसरी सीमा क्षेत्र में भी लगभग 30 फीट पाई गई थी किंतु वर्तमान में उक्त भूमि को छोड़ते हुए उल्टे परिसर की भूमि को ही अतिक्रमण में बता दिया।
5/ जानकारी के अनुसार वर्ष 1996 में नवीन बस स्टैंड के निर्माण के दौरान दरगाह परिसर की भूमि से कुछ भाग , लिया गया था वह तत्कालीन कमेटी वा राजस्व अधिकारी तत्कालीन तहसीलदार व एसडीएम ने एक लिखित समझौता देकर अपने हस्ताक्षर कर यह तय किया था कि स्टैंड परिसर के अतिरिक्त अब किसी भूमि का भाग दरगाह क्षेत्र से नहीं लिया जाएगा अर्थात बस स्टैंड की सीमा के बाद की बाकी की भूमि को दरगाह परिसर में ही तब भी माना गया था साथ ही वर्ष 2001 में नवीन बस स्टैंड का निर्माण पूर्ण होने पर प्रारंभ होने पर भी इसी प्रकार का अनुबंध दोनों पक्षों द्वारा किया गया था इसके दस्तावेज प्रमाण स्वरूप कमेटी के पास मौजूद है ।
6/ इस प्रकार बिंदुवार गलतीयो की संख्या इतनी है कि समाचार में लिखा जाना ही अनुचित है कई गलतियां के बावजूद मौखिक तमाम आपत्तियों को दरकिनार करना भी समिति के अनुसार उनके पास मौजूद प्रमाण को दरकिनार करना है।
7/ गौरतलब है कि उक्त भूमि का प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय में विचार अधीन है एवं न्यायालय में विचाराधीन प्रकरण के बावजूद बिना अनुमति के इस भूमि का सीमांकन किया जाता रहा इस प्रकार माननीय न्यायालय की अनुमति होना भी अति आवश्यक मानी जाती है।
8/ यह की माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में जारी आदेश के तहत स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि पूजा स्थल एवं धार्मिक स्थलों को वर्ष 1947 की स्थिति के तहत कोई अन्य निरीक्षण या स्वरूप में परिवर्तन आदि संबंधित प्रकरणों को आगामी आदेश तक दर्ज न कर बड़ी बारीकी से निराकरण किया जाए बावजूद इसके
इतने बड़े निर्देशों के बावजूद भी एक पूजा स्थल की भूमि के बड़े भाग को मनमानी पूर्वक भारी पुलिस बल की मौजूदगी में संबंधित समिति वा बोर्ड की आपत्तियों को न मानते हुए एक कथित सीमांकन प्रक्रिया को पूरा कर चिन्हित कर दरगाह परिसर की भूमि पर पत्थर गाढ़ दिया गया जो की पूर्णता संदेह के घेरे में आता है।
9/ गौर तलब है कि राजगढ़ के राजा द्वारा उक्त भूमि को ताम पत्र पर एवं विधिवत रूप से वसीयत कर दरगाह परिसर के लिए पूर्ण स्वामित्व के रूप में सोपा गया था और तब देश आज आजाद नहीं था आजादी से पूर्व काबिज इन जमीनों पर अब आसपास की भूमि पर काबिज हुए बड़े भूमाफियाओं ने रास्ता निकालने के लिए बड़े आसान तरीके से इस तरह के हतकन्डे अपना लिए हैं लेकिन वह इन चीजों को भूल बैठे हैं कि ताम पत्र व विधिवत रूप से की गई वसीयतों को माननीय न्यायालय ऐसे चालबाजी तरीकों से कामयाब नहीं होने देता ।
10/ वक्फ बोर्ड व दरगाह कमेटी के अलावा लाखों श्रद्धालुओं की आस्था पर किए गए कुठारा घात से सभी आहत है और जानकारी के अनुसार अलग-अलग ऐसे लोग अब माननीय न्यायालय की शरण में अपनी आस्था का हवाला देकर इस प्रक्रिया के साथ इस सीमांकन प्रक्रिया में की गई अनियमिता व लापरवाही के साथ जो जानबूझकर गलतियां की गई है और उन आदेशों को पारित किया गया है जो जारी करने वाले के अधिकार क्षेत्र के बाहर के हैं उन सभी दोषियों पर कार्यवाही के लिए सक्षम न्यायालय में न्याय की गुहार लगाने की तैयारी में है।
*पूरे घटनाक्रम का सार यह है कि जिस वक्फ बोर्ड ने खुद फरियादी बनकर अपनी ही जमीन से अतिक्रमणकारियों को हटाने के लिए पत्र लिखे थे वह इस घटनाक्रम के बाद आरोपी बनाकर खुद अतिक्रमणकारियों की श्रेणी में आकर खड़ा हो गया ऐसे में दरगाह कमेटी ने स्थाई निर्माण कर दुकान बनाने के लिए जीन गुमटीयों को हटाने की मांग वक्फ बोर्ड से की थी उस एक मामूली सी प्रक्रिया को इस पूरे घटनाक्रम ने एक भूमि के बड़े भाग से कमेटी को ही बेदखल करने की तैयारी कर ली हे।*
*इस विषय पर जब संबंधित मीडिया कर्मी ने राजगढ़ एसडीएम व तहसीलदार से पक्ष जानना चाहा तो फोन भी उठाना मुनासिब नहीं समझा।*