5000 वर्ष से अधिक प्राचीन माता रूक्मणी मठ का होगा सौन्दर्यीकरण, मंत्रियों की मौजूदगी में भूमिपूजन हुआ: NN81

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5000 वर्ष से अधिक प्राचीन माता रूक्मणी मठ का होगा सौन्दर्यीकरण, मंत्रियों की मौजूदगी में भूमिपूजन हुआ: NN81

03/02/2025 | फ़रवरी 03, 2025 Last Updated 2025-02-04T08:35:37Z
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Reported By: Harshad Sahu 

Written By: Abhishek Vyas X @abhishekvyas99



महाभारत कालीन 5000 वर्ष से अधिक प्राचीन माता रूक्मणी धार्मिक क्षेत्र के सौंदयकरण के लिए 4 करोड़ की राशि भूमिपूजन हुआ : 

दमोह : जिले के पटेरा तहसील के कुंडलपुर स्थित प्राचीन रुक्मणी मठ का अब नया स्वरूप दिखाई देगा महाभारत कालीन 5000 वर्ष से अधिक अति प्राचीन हिंदूतीर्थ स्थल माता रूक्मणी जी माता अंबिक(दुर्गा) जी के पवित्र धार्मिक क्षेत्र के विकास सौंदयकरण संरक्षण के लिए लगभग 4 करोड़ की राशि से अनेक निर्माण कार्यों का भूमिपूजन हुआ। जिसके लिए मध्य प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री श्री प्रहलाद पटेल जी , मंत्री श्री धर्मेंद्र सिंह जी ,श्री रामकृष्ण कुसमरिया जी,मंत्री श्री लखन पटेल जी , हटा विधायक जी का सभी सनातन धर्म प्रेमियों भक्तों की ओर से बहुत बहुत हृदय से आभार धन्यवाद प्रकट करते है


मंत्री प्रहलाद पटेल ने बताया मठ के सौंदर्याकरण का निर्णय लिया गया है

मंत्री प्रहलाद पटेल ने बताया कि माता रुक्मणी की प्रतिमा की स्थापना के बाद अब मंदिर परिसर के समग्र विकास की योजना बनाई गई है। स्थानीय लोगों की आस्था को देखते हुए मठ के सौंदर्याकरण का निर्णय लिया गया है। इस योजना के तहत मंदिर परिसर में सीसी रोड, तालाब निर्माण, घाट, प्रवेश द्वार और चार दीवारी का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने कहा यदि दूसरी बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं बने होते तो रूकमणि माता की मूर्ति वापिस नहीं आती


मंदिर परिसर में पारंपरिक मेला लगाया जाएगा संस्कृति मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी की घोषणा

संस्कृति मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने घोषणा की रूकमणि माता मंदिर परिसर में पारंपरिक मेला लगाया जाएगा और शासन के कलेंडर में रूकमणि महोत्सव की तिथि तय करेंगे। क्योंकि इस परिसर को सुरक्षित रखने की जरूरत है। बता दें है कि वर्ष 2005 में इसी मठ से माता रुक्मणी की प्राचीन प्रतिमा चोरी हो गई थी जो बाद में राजस्थान में बरामद हुई। प्रतिमा को पहले ग्यारसपुर संग्रहालय में रखा गया और तीन वर्ष पूर्व दमोह के रानी दमयंती संग्रहालय में स्थानांतरित किया गया। अब यह प्रतिमा पुनः मूल स्थान रुक्मणी मठ में स्थापित कर दी गई है।