मोहन भागवत ने कहा "हम अपनी इसी देह, इन्हीं आंखों से भारत को विश्व गुरु बनते देखेंगे, यह विश्वास है : NN81

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मोहन भागवत ने कहा "हम अपनी इसी देह, इन्हीं आंखों से भारत को विश्व गुरु बनते देखेंगे, यह विश्वास है : NN81

20/02/2025 | फ़रवरी 20, 2025 Last Updated 2025-02-20T07:18:10Z
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 Reported By: NN81 @newsnation81tv 

Edited By: Abhishek Vyas @abhishekvyas99  


मोहन भागवत ने कहा हम अपनी इसी देह इन्हीं आंखों से भारत को विश्व गुरु बनते देखेंगे यह विश्वास है। लेकिन संघ के स्वयंसेवकों को इसके लिए पुरुषार्थ करना होगा। हमें इसके लिए कार्य को सतत विस्तार देना होगा: 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने झंडेवालान में पुनर्निर्मित ‘केशव कुंज’ के प्रवेशोत्सव कार्यक्रम में कहा कि ‘देश में संघ कार्य गति पकड़ रहा है व्यापक हो रहा है। आज जिस पुनर्निर्मित भवन का यह प्रवेशोत्सव है उसकी भव्यता के अनुरूप ही हमें संघ कार्य का स्वरूप भव्य बनाना है और हमारे कार्य से उसकी अनुभूति होनी चाहिए। यह कार्य पूरे विश्व तक जाएगा और भारत को विश्वगुरु के पद पर आसीन करेगा ऐसा हमें पूर्ण विश्वास है। और हम अपनी इसी देह इन्हीं आंखों से बनते देखेंगे यह विश्वास है। लेकिन संघ के स्वयंसेवकों को इसके लिए पुरुषार्थ करना होगा। हमें इसके लिए कार्य को सतत विस्तार देना होगा।’ 

उन्होंने कहा कि आज संघ के विभिन्न आयामों के माध्यम से संघ कार्य का विस्तार हो रहा है। इसलिए अपेक्षा है कि संघ के स्वयंसेवक के व्यवहार में सामर्थ्य शुचिता बनी रहे। आज संघ की दशा बदली है लेकिन दिशा नहीं बदलनी चाहिए। समृद्धि की आवश्यकता है जितना आवश्यक है उतना वैभव होना भी चाहिए लेकिन ऐसा मर्यादा में रहकर होना चाहिए। केशव स्मारक समिति का यह पुनर्निर्मित भवन भव्य है इसकी भव्यता के अनुरूप ही कार्य खड़ा करना होगा। 


 दिल्ली देश की राजधानी है और सूत्रों का संचालन यहां से होता है इसलिए यहां एक कार्यालय की आवश्यकता महसूस हुई

सरसंघचालक ने इस अवसर पर संघ की शुरुआत से ही आद्य सरसंघचालक डॉ. हेडगेवार जी द्वारा झेली अनेक कठिनाइयों का उल्लेख किया और नागपुर में पहले कार्यालय ‘महाल’ की शुरुआत के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि क्योंकि दिल्ली देश की राजधानी है और सूत्रों का संचालन यहां से होता है इसलिए यहां एक कार्यालय की आवश्यकता महसूस हुई और उस आवश्यकता के अनुसार यहां कार्यालय बनाया गया है। आज यह भव्य भवन बन जाने भर से स्वयंसेवक का काम पूरा नहीं होता। हमें ध्यान रखना होगा कि उपेक्षा और विरोध हमें सावधान रखता है लेकिन अब अनुकूलता का वातावरण है हमें अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कार्यालय हमें कार्य की प्रेरणा देता है लेकिन उसके वातावरण की चिंता करना प्रत्येक स्वयंसेवक का कर्तव्य है। 


संत राघवानंद महाराज ने कहा कि संघ 100 वर्ष पूर्ण कर चुका है तो इसके पीछे डॉक्टर साहब का प्रखर संकल्प ही है

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष गोविंददेव गिरी महाराज ने आशीर्वचन में कहा कि आज श्री गुरुजी की जयंती है इसलिए पावन दिन है। आज शिवा जी महाराज की भी जयंती है। शिवाजी महाराज संघ की विचार शक्ति हैं। कांची कामकोटि पीठ के तत्कालीन शंकराचार्य परमाचार्य जी ने एक बार एक वरिष्ठ प्रचारक से कहा था कि संघ प्रार्थना से बढ़कर कोई मंत्र नहीं है। छावा फिल्म का उल्लेख करते हुए गोविंददेव गिरी जी ने कहा कि छत्रपति ने ऐसे मावले तैयार किए जो थकते नहीं रुकते नहीं झुकते नहीं और बिकते भी नहीं। संघ के स्वयंसेवक छत्रपति शिवाजी के तपोनिष्ठ मावलों सरीखे ही हैं। हम हिन्दू भूमि के पुत्र हैं संघ राष्ट्र की परंपरा को पुष्ट करते हुए राष्ट्र की उन्नति की बात करता है।उदासीन आश्रम दिल्ली के प्रमुख संत राघवानंद महाराज ने कहा कि संघ 100 वर्ष पूर्ण कर चुका है तो इसके पीछे डॉक्टर साहब का प्रखर संकल्प ही है। संघ ने समाज के प्रति समर्पण भाव से कार्य किया है समाज के हर वर्ग के उत्थान के लिए कार्य किया है। इसलिए संघ कार्य सतत बढ़ रहा है।