मोर जल मोर माटी ने लाख की खेती के माध्यम से ग्रामीण आय को दिया बढ़ावा : NN81

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मोर जल मोर माटी ने लाख की खेती के माध्यम से ग्रामीण आय को दिया बढ़ावा : NN81

07/02/2025 | फ़रवरी 07, 2025 Last Updated 2025-02-07T15:33:48Z
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 Reported By: NN81 @newsnation81tv

Edited By: Abhishek Vyas @abhishekvyas99  


मोर जल मोर माटी ने लाख की खेती के माध्यम से ग्रामीण आय को दिया बढ़ावा:

बालकोनगर, 6 फरवरी 2025। वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने अपनी सामुदायिक विकास पहल मोर जल मोर माटी के अंतर्गत लाख खेती के लिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया। इसका उद्देश्य लाख की खेती पर विशेष प्रशिक्षण प्रदान कर, किसानों को सशक्त बनाना है। इस प्रशिक्षण में उन लोगों पर ध्यान केंद्रित किया गया है जिनके पास बेर, कुसुम और पलाश जैसे पेड़ हैं जो इस के लिए आवश्यक हैं।

अधिक से अधिक किसानों तक पहुँचने के लिए अनेक सत्र आयोजित किये गए। आयोजित सत्र में 50 से अधिक किसानों ने भाग लिया। आने वाले समय में कई प्रशिक्षण सत्र और आयोजित किये जाएंगे। आने वाले समय में अधिक किसान इस पहल से लाभान्वित होंगे। आय के द्वितीयक स्रोत के रूप में लाख की खेती की शुरुआत कर बालको ने 400 से अधिक किसानों के लिए ₹50,000 की अतिरिक्त औसत आय उत्पन्न करने में मदद की है।


इसकी खेती साल में दो बार होती है

छत्तीसगढ़ एक प्रमुख लाख उत्पादक राज्य है। जलवायु परिवर्तन के कारण पैदावार में उतार-चढ़ाव का सामना कर रहा कोरबा कभी एक प्रमुख उद्योग केंद्र था। 2023 में मोर जल मोर माटी पहल ने आधुनिक तरीकों के साथ झारखंड से विशेषज्ञ प्रशिक्षण प्रदान करके क्षेत्र में लाख की खेती को पुनर्जीवित किया। इसने स्थानीय किसानों और कर्मचारियों को सशक्त बनाया है। किसान अब संसाधनों को साझा करते हैं और साथ मिलकर खेती करते हैं। इस पहल के साथ ब्रूड लाख की आपूर्ति होती है। इसकी खेती साल में दो बार होती है। बीज उत्पादन तथा व्यावसायिक उत्पादन, जिसके परिणामस्वरूप उत्पादन में वृद्धि होती है।


लाख की खेती समुदायों के लिए स्थायी आजीविका 

लकड़ी की फिनिशिंग, भोजन, सौंदर्य प्रसाधन, आभूषण इत्यादि जरूरी चीजों में इसका उपयोग होता है। इसके व्यावसायिक मूल्य के साथ लाख की खेती समुदायों के लिए स्थायी आजीविका का समर्थन करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। साथ ही समुदाय द्वारा संचालित भूमि प्रबंधन को बढ़ावा देने तथा जैव विविधता संरक्षण में सहायता प्रदान करती है। कौशल और ज्ञान की कमी ने इसके विकास को सीमित कर दिया है। वैज्ञानिक खेती के तरीकों को अपनाने से मौजूदा लाख उगाने वाले क्षेत्रों में उत्पादकता को बढ़ावा मिलै है। लाख के उप-उत्पाद में ब्र, रंग और मोम शामिल हैं। इसका उपयोग खाद्य, सौंदर्य प्रसाधन, फार्मास्यूटिकल्स, कपड़ा, चिपकने वाले पदार्थ, वार्निश और पेंट जैसे उद्योगों में किया जाता है। बेहतर खेती के तरीके लाभप्रद होने के साथ किसानों को पारंपरिक फसलों के लिए अधिक आकर्षक विकल्प भी प्रदान करता है।


आय का एक अतिरिक्त स्रोत प्रदान कर ग्रामीण समुदाय की आजीविका का समर्थन

बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक श्री राजेश कुमार ने कहा कि मोर जल मोर माटी प्रोजेक्ट के माध्यम से हम किसानों को कृषि नवाचार एवं आधुनिक तकनीक के जोड़कर सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। किसानों को नई तकनीक अपनाने के लिए आवश्यक ज्ञान और संसाधन से सशक्त बनाकर हम दीर्घकालिक विकास को बढ़ावा दे रहे हैं। आय का एक अतिरिक्त स्रोत प्रदान कर हम ग्रामीण समुदाय की आजीविका का समर्थन कर रहे हैं। यह प्रतिबद्धता आर्थिक प्रगति को आगे बढ़ाने और सभी क्षेत्रों में स्थिरता बढ़ाने के हमारे व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाता है।

कोरबा के परसाखोला गाँव के अमल ने अपनी कहानी साझा करते हुए कहते हैं कि एक किसान परिवार में पले-बढ़े होने के कारण, मैंने हमेशा लाख की खेती करने के बारे में सोचता था। हमारे गाँव का प्राकृतिक वातावरण इसके लिए एकदम सही है। हालांकि आर्थिक कारणों से मैंने अपनी आकांक्षाओं का पीछा नहीं किया। जब मुझे मोर जल मोर माटी परियोजना के बारे में पता चला तो यह बदल गया। इसके तहत बेला में वेदांता कृषि संसाधन केंद्र (वीएआरसी) में लाख के बीज और प्रशिक्षण प्रदान किया। प्रशिक्षण से मिली जानकारी से लाख की खेती शुरू की और लगभग ₹80,000 का लाभ कमाया।

वर्षा पर निर्भरता को कम करने के लिए बहु-फसल को बढ़ावा देने पर केंद्रित

बालको की मोर जल मोर माटी परियोजना 40 गांवों में लगभग 2200 एकड़ से अधिक भूमि के साथ 5700 किसानों तक अपनी पहुंच बना चुका है। परियोजना का कार्यान्वयन बायफ इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबल लाइवलीहुड के सहयोग किया जा रहा है। परियोजना मौजूदा संसाधनों के साथ सतही जल प्रबंधन में सुधार, सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाने और वर्षा पर निर्भरता को कम करने के लिए बहु-फसल को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। यह किसानों को लाख की खेती, पशुपालन, बागवानी और गैर-लकड़ी वन उपज जैसे नए रास्ते दिखाकर साल भर आय सृजन को सुनिश्चित किया है। किसानों विभिन्न प्रशिक्षण एवं कृषि नवाचार के लिए वेदांता एग्रीकल्चर रिसोर्स सेंटर (वीएआरसी) की स्थापना की गई है।