रिपोर्ट - गोपेश साहू
पाटन। शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहे पाटन विधानसभा क्षेत्र के छात्र-छात्राएं आज भी उच्च शिक्षा के कुछ प्रमुख पाठ्यक्रमों के लिए बड़े शहरों की ओर पलायन को मजबूर हैं। डीएड, बीएड, एलएलबी, पॉलिटेक्निक, संगीत, पत्रकारिता, बी.लिब, एम.लिब, बीपीएड, एमपीएड जैसे विषयों की पढ़ाई पाटन क्षेत्र में उपलब्ध नहीं है, जिससे विद्यार्थियों को दुर्ग, भिलाई, रायपुर या बिलासपुर जैसे शहरों में जाना पड़ता है।
हालांकि पाटन, जामगांव आर और रानीतराई जैसे ग्रामीण अंचलों में शासकीय महाविद्यालय संचालित हो रहे हैं, लेकिन यहां फिलहाल बीए, बीएससी, बीकॉम, एमएससी और पीजीडीसीए जैसे सीमित पाठ्यक्रम ही पढ़ाए जा रहे हैं। शिक्षा का स्तर अच्छा होने के बावजूद छात्रों के पास विकल्प सीमित हैं।
ग्रामीण अंचल में निवास करने वाले अधिकांश अभिभावक कृषि व मजदूरी पर निर्भर हैं, जिसके चलते वे अपने बच्चों को महंगे निजी कॉलेजों में पढ़ाने में असमर्थ हैं। बड़े शहरों के निजी महाविद्यालयों की ऊंची फीस भी ग्रामीण छात्रों की पहुंच से बाहर है। नतीजतन, कई मेधावी छात्र उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते हैं।
छात्रों और अभिभावकों की मांग है कि पाटन क्षेत्र के शासकीय महाविद्यालयों में डीएड, बीएड, एलएलबी, पॉलिटेक्निक समेत अन्य रोजगारोन्मुखी व व्यावसायिक पाठ्यक्रम शीघ्र शुरू किए जाएं ताकि उन्हें अपने क्षेत्र में ही सुलभ, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।