किसी ने पूछा की मंदिर जाने में और सत्संग में क्या फर्क है : NN81

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किसी ने पूछा की मंदिर जाने में और सत्संग में क्या फर्क है : NN81

18/12/2023 | December 18, 2023 Last Updated 2023-12-18T04:51:32Z
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 किसी ने पूछा की मंदिर जाने में और सत्संग में क्या फर्क है। जवाब मिला की मंदिर जाने से ,इच्छाओं, की पूर्ति होती है ।



रिपोर्ट राजीव गुप्ता आष्टा जिला सीहोर एमपी 





आष्टा।किसी ने पूछा की मंदिर जाने में और सत्संग में क्या फर्क है। जवाब मिला की मंदिर जाने से ,इच्छाओं, की पूर्ति होती है ।पर सत्संग में जाने से इच्छाओं का नाश, होता है। इसलिए नित्य सत्संग अवश्य करें। तात स्वर्ग अपवर्ग सुख धरही तुला एक अंग। तुल ना ताही ही शकल मिली जो सुख लव सत्संग। क्षण भर का सत्संग स्वर्ग और बैकुंठ के सुख से भी ज्यादा श्रेष्ठ है। उक्त प्रेरणादाई प्रवचन श्री श्याम श्याम चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा नया दशहरा मैदान पर आयोजित सात दिवसीय संगीतमय श्री राम कथा के तृतीय दिवस  भागवत भास्कर संत श्री मिट्ठू पुरा सरकार द्वारा सुना गए। आज की कथा के मुख्य यजमान हेमंत राठौड़ और कथा समिति के अध्यक्ष संजीव पांचम  द्वारा मालवी पगड़ी पहनाकर संत श्री का स्वागत किया। आज पूज्य गुरुदेव द्वारा श्री राम कथा में भगवान शंकर और सती जी का प्रसंग बड़े ही मार्मिक शब्दों में श्रवण करवाया। जिसे सुनकर सारे श्रोता भाव विभोर हो गए।


कथा में सुनाया की ब्रह्मा के पुत्र दक्ष प्रजापति की सबसे छोटी बेटी जिनका नाम सती था। उनका विवाह भगवान शंकर के साथ हुआ । एक दिन भगवान शंकर सती जी को लेकर कुंबज ऋषि के आश्रम में श्री राम कथा श्रवण हेतु गए। भगवान शंकर ने तो श्री राम कथा बड़े प्रेम से श्रवण की। पर सती जी ने मन में अभिमान के कारण भगवान की कथा नहीं सुनी। और उनके मन में भगवान श्री राम के प्रति ही संदेह हो गया ।शास्त्र में लिखा है। कि श्रद्धावान लभते ज्ञानम, सनसंय आत्मा विनाश्यति, सनंसय आदमी का विनाश कर देता है। और इसी संदेह  के कारण शंकरभगवान के मना करने पर भी सती जी ने श्री राम जी की परीक्षा ली ।और अपने पति से झूठ बोला ।और भगवान की बात नहीं मानी।और भगवान के मना करने पर भी अपने पिता के यहां यज्ञ में गई ।और वहां जाकर  अपमानित होना पड़ा। गोस्वामी तुलसीदास जी लिखते हैं ।कि संसार में दुख तो बहुत है। पर सबसे बड़ा दुख है ।अपने समाज में व्यक्ति का अपमान होना। यद्यपि जग दारुण  दुख नाना। सबसे अधिक जाति अपमाना। सती जी भगवान शंकर का अपमान सहन ना कर सकी ,और अपने पिता के द्वारा आयोजित यज्ञ में अपने शरीर को भस्म कर लिया।

फिर इन्हीं सती जी का अगला जन्म में हिमाचल और मैंना के घर पार्वती जी के रूप में जन्म हुआ। और फिर भगवान शंकर से  इनका विवाह हुआ। इसके साथ ही पूज्य गुरुदेव द्वारा गाए हुए मधुर भजनों पर सभी श्रोताओं ने नृत्य किया। कल श्री राम जन्मोत्सव की कथा होगी। इस अवसर पर  कमल ताम्रकार ,लखन पाटीदार ,गोपाल दास राठी ,कैलाश  पांचम सोनी ,हेमंत गिरी  महंत  शंकर मंदिर ,चंद्र सिंह राजपूत, जीवन सिंह पटेल ,भगवत मेवाड़ा ,राजू राठौड़, सवाई सिंह जी ठाकुर ,मनीष जी राजपूत ,जोगेंद्र सिंह ठाकुर, गजेंद्र सिंह ठाकुर  ( रुपाहेडा ) राजा जी ठाकुर नीरज ठाकुर, मोहन वर्मा, विजेंद्र सिंह ,राजेंद्र सिंह सोलंकी , रतन सिंह डॉक्टर, नरेंद्र सिंह भाटी ,संजीव पांचाल, जहुर मंसूरी , अमन बैरागी,दशरथ मेवाड़ा , विक्रम सिंह पटेल ,हेमंत राठौड़ ,सोनू गुणवान,  सहित बड़ी संख्या में मात्शक्तियों की उपस्थित रहीं।