हर व्यक्ति के मन में जिनेंद्र भगवान के दर्शन की भावना हो : NN81

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हर व्यक्ति के मन में जिनेंद्र भगवान के दर्शन की भावना हो : NN81

30/04/2024 | April 30, 2024 Last Updated 2024-04-30T17:21:08Z
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 हर व्यक्ति के मन में जिनेंद्र भगवान के दर्शन की भावना हो --आचार्य उदार सागर महाराज 


 मुनि संघ आचार्य उदार सागर महाराज का मंगल नगर आगमन हुआ


रिपोर्ट राजीव गुप्ता आष्टा जिला सीहोर एमपी



आष्टा।आप लोग भगवान नेमिनाथ जी की छत्र छाया में रहकर भौतिक और धार्मिक जीवन सुखमय व्यतीत कर रहे हैं। भव्य मंदिर और दर्शन करके मन में बहुत प्रसन्नता हुई। जिनेंद्र भगवान के दर्शन करने के बाद जिनके मन में प्रसन्नता नहीं आती है, समझों उनके जीवन में अभी बहुत कमी है। अच्छे जिनालय और अच्छे बिंब हमारे ह्रदय पर प्रभाव डालते है। निमित्तों का बड़ा प्रभाव पड़ता है। प्रतिमा जितनी अच्छी उतना ही मन अधिक लगता है।हर व्यक्ति के मन में जिनेंद्र भगवान के दर्शन की भावना हो।हम भगवान की वीतरागी प्रतिमा देखकर सम्यक ज्ञान और मोक्ष प्राप्त हो ऐसी भावना भाएं, मोक्ष की मंजिल हर व्यक्ति चाहता है, लेकिन मोक्ष चाहने से नहीं पुरुषार्थ करने  से प्राप्त होगा।चाह के साथ राह भी जरूरी, तभी मोक्ष सिद्धत्व की प्राप्ति होगी। बिना चले मंजिल की प्राप्ति नहीं।मोक्ष तक जाना चाहते हैं तो मंजिल संसार को छोड़कर धर्म के मार्ग पर चलना होगा। 

   उक्त बातें नगर के नेमि नगर साईं कॉलोनी में स्थित श्री नेमिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में आचार्य अभिनंदन सागर जी महाराज के परम प्रभावक शिष्य पूज्य आचार्य श्री उदार सागर जी महाराज ने आशीष वचन देते हुए कहीं। आचार्य भगवंत के प्रवचन की जानकारी देते हुए समाज के नरेन्द्र गंगवाल ने बताया कि आचार्य उदार सागर महाराज ने कहा एक स्थान पर जिनालय में भगवान के दर्शन करने के लिए भीड़ लगती है,एक सूरदास भी भगवान के दर्शन करने पहुंचा तो किसी ने पूछा कहां जा रहे हो, सूरदास ने कहा भगवान के दर्शन करने जा रहा हूं,आपकी दोनों आंखें बंद है, दर्शन कैसे करोंगे। सूरदास के मन के अंदर की श्रद्धा और भाव काफी दृढ़ थे। उन्होंने कहां मेरी तो दोनों आंखें नहीं है लेकिन भगवान की आंखें हैं ,वह मुझे देखेंगे, उनकी दृष्टि मुझ पर पड़ जाएगी। भगवान की दृष्टि हम पर पढ़ गई तो भला ही भला। आपने कहा सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान और सम्यक चारित्राणी मोक्ष मार्गा। इन्हीं मार्ग पर चलने से मोक्ष की प्राप्ति होगी। आचार्य समंतभद्र स्वामी ने ग्रंथ लिखा है।देव, शास्त्र, गुरु के प्रति अटूट श्रद्धा होना चाहिए।आप सभी पुण्यशाली है। समीचीन धर्म आराधना करते हो।यह सारी चीजें विरासत में मिली है। बिना परिश्रम के चीज मिल जाए तो उसकी कोई कीमत नहीं। जिंदगी धीरे-धीरे बड़ी लंबी हो जाती है। जीवन में यदि परिवर्तन आता तो यहां नहीं बैठते आप।संसार में अधिक समय तक भटक रहे हैं। आचार्य उदार सागर महाराज ने कहा हमारी श्रद्धा परमार्थ गुरु के प्रति नहीं है। दुनिया में साधु-संतों की कमी नहीं है। सच्चे देव, शास्त्र, गुरु का समागम होना चाहिए। पुण्य के उदय से मनुष्य गति, जैन कुल सौभाग्य से प्राप्त हुआ है, लेकिन कल्याण नहीं हो रहा है। निस्वार्थ,परमार्थ की श्रद्धा होनी चाहिए। संसार की सुविधा हेतु श्रद्धा रखी, मोक्ष मार्ग के लिए नहीं।एक गुफा में वृद्ध पारस पत्थर पर मशाला पीसते रहे,उस पारस पत्थर का ज्ञान उन्हें नहीं था, उक्त वृद्ध से गुफा में पहुंचकर एक व्यक्ति ने दान में कुछ देने को कहा तो वृद्ध ने कहा तुम्हें दिख रहा है मेरे पास कुछ भी देने को नहीं है तो उक्त व्यक्ति ने कहा आपके सामने जो पत्थर रखा है उसे आपके लोहे के चिमटे से स्पर्श करें तो वह लोहे का चिमटा सोने का बन गया।सच्चे देव , शास्त्र, गुरु का सानिध्य मिलने के बाद भी हम पारस पत्थर की तरह उन्हें समझ नहीं आ रहा है। आचार्य भगवंत ने कहा व्यक्ति भगवान से बेटे की शादी, व्यापार व्यवसाय आदि मांगते हैं, तीन लोक के नाथ से। सारी दुर्लभ चीजों का दुरुपयोग किया। हमें भगवान से संसार नहीं, उनके जैसे बनने की चाहत रखना चाहिए। भगवान से मोक्ष सुख मांगे। हमारे भगवान वीतरागी है। उनसे संसार नहीं,मोक्ष की मंजिल मांगों। सूरदास भगवान से प्रभु की भक्ति मांगता है।आंख वाले को लड़की नहीं मिल रही, सूरदास को कौन लड़की देगा। भगवान की निस्वार्थ भक्ति करना चाहिए। भगवान से मांगें कि मेरी झोली में रत्नात्रय रुपी रत्न डाल देवे । संसार की चीज भगवान से नहीं मांगना चाहिए।

     नगर प्रवेश हुआ आचार्य उदार सागर महाराज संघ का

आचार्य अभिनंदन सागर जी के परम शिष्य पूज्य आचार्य श्री उदार सागर जी महाराज ससंघ चार संतों  का मंगल नगर आगमन मंगलवार 30 अप्रैल को प्रातः 8 बजे भोपाल नाका से हुआ।पूज्य आचार्य संघ भोपाल नाका से श्री नेमिनाथ जिन मंदिर साईं कॉलोनी लेकर समाजजन पहुंचें।

      मुनिश्री के केशलोच आज होंगे 

आचार्य अभिनंदन सागर जी के परम शिष्य आचार्य श्री उदार सागर जी महाराज ससंघ (चार पिच्छीका) श्री नेमिनाथ जिन मंदिर में विराजमान है। दिनांक 1 मई दिन बुधवार प्रातः 6 बजे संघस्थ मुनि श्री उपशान्त सागर जी महाराज के केशलोचन सम्पन्न होंगे।

पूज्य आचार्य उदार सागर महाराज के मंगल प्रवचन प्रातः 8:30 बजे होंगे। मुनि संघ की आहार चर्या प्रातः 9:30 बजे श्री नेमिनाथ जिन मंदिर से पडगाहन के साथ सम्पन्न होगी।साधर्मी बंधुओं, माताएं ,बहने अधिक से अधिक संख्या में मुनि संघ दर्शन लाभ लेकर पुण्य अर्जन करें।