पिता प्रत्येक बच्चे के लिए धरती पर ईश्वर का साक्षात रूप होते हैं- ब्रह्माकुमारी रुक्मणी दीदी
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के सेवा केंद्र द्वारा फादर्स डे बड़ी धूमधाम से मनाया गया जिसमें ब्रह्माकुमारी रेखा दीदी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि हर बच्चा अपने पिता से ही सारे गुण सीखता है जो उसे जीवन भर परिस्थितियों के अनुसार ढलने के काम आते हैं। उनके पास सदैव हमें देने के लिए ज्ञान का अमूल्य भंडार होता है, पिताजी का सबसे महत्वपूर्ण गुण है, कि वे सदैव हर समय धीरज से काम लेते हैं और कभी खुद पर से आपा नहीं खोते। हर परिस्थिति में वे शांति से सोच समझ कर आगे बढ़ते हैं और गंभीर से गंभीर मामलों में भी धैर्य बनाए रखते हैं। किसी भी प्रकार की कमी नहीं होने देते और हमारी जरूरतें और फरमाइशें भी पूरी करते हैं। किसी भी प्रकर की गलती होने पर वे हमें डांटने के बजाए हमेशा प्यार से समझाते हैं और गलतियों के परिणाम बताते हुए दोबारा न करने की सीख भी देते हैं। पिताजी का दिल बहुत बड़ा है, कई बार उनके पास पैसे नहीं होते हुए भी वे अपनी जरूरत भूलकर हमारी जरूरतों और गैरजरूरी फरमाइशों को भी पूरा करते हैं लेकिन आज के समय की बड़ी परस्थिति यह है कि बच्चे अपने माता-पिता को वृद्ध आश्रम में भेजना पसंद कर रहे हैं यह बड़े दुख की बात है जिन्होंने बच्चों के लिए सारा जीवन अर्पित कर दिया उनके लिए घर में एक कमरा तक नहीं होता, हमें आज की जनरेशन के विचार बदलने होंगे। वे कभी हमें या परिवार के सदस्यों को किसी भी चीज के लिए तरसने नहीं देते। बच्चे कोई बड़ी से बड़ी गलती भी क्यों न कर दें, पिताजी हमेशा कुछ देर गुस्सा दिखाने के बाद उसे माफ कर देते हैं मैने हमेशा पिता से सीखा है कि चाहे कुछ भी हो जाए, हमें अपने आप पर से नियंत्रण कभी नहीं खोना चाहिए। पिताजी हमेशा व्यवहारकुशलता से हर कार्य को सफलता पूर्वक समाप्त करते हैं। पिताजी हमेशा हमें अनुशासन में रहना सिखाते हैं और वे खुद भी अनुशासित रहते हैं। सुबह से लेकर रात तक उनकी पूरी दिनचर्या अनुशासित होती है। वे सुबह समय पर उठकर दैनिक कार्यों से नि़वृत्त होकर ऑफिस जाते हैं और समय पर लौटते हैं। वे कभी छोटी-छोटी बातों को भी नजर अंदाज नहीं करते बल्कि हर बात को गंभीरता से लेकर उसका महत्व हमें समझाते हैं, पिताजी कभी अपनी कोई तकलीफ नहीं बताते बल्कि वे घर के लोगों की हर जरूरत और तकलीफ का पूरा ध्यान रखते हैं। ब्रह्माकुमारी रुक्मणी दीदी ने अपने संबोधन में कहा कि पिता की तुलना दुनिया में किसी से भी नहीं की जा सकती। पिता प्रत्येक बच्चे के लिए धरती पर ईश्वर का साक्षात रूप होते हैं। वे अपनी संतान को सुख देने के लिए अपने सुखों को भी भूला देते हैं। वे रात दिन अपने बच्चों के लिए ही मेहनत करते हैं और उन्हें वे हर सुविधा देना चाहते है जो उन्हें भी कभी नहीं मिली। कई बार छोटी सी तनख्वाह में भी बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए पिता कर्ज में भी डूब जाते हैं लेकिन बच्चों के सामने कभी कोई परेशानी जाहिर नहीं करते... शायद इसीलिए पिता, दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। अत: सभी बच्चों को अपने पिता का ज्यादा से ज्यादा और अच्छा खयाल रखना चाहिए, ताकि उन्हें तुम्हारी ओर से कोई परेशानी ना हो।
जिला गुना से गोलू सेन की रिपोर्ट